नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट SC की संविधान पीठ ने महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे बनाम एकनाथ शिंदे की जंग का मसला सुलझाने का काम अपनी बड़ी पीठ को भेजने का फैसला किया है। नबाम रेबिया के फैसले के आलोक में अब 7 जजों की पीठ इसकी पूरी व्याख्या करेगी। इस तरह फिलहाल एकनाथ शिंदे और बीजेपी की सरकार बच गई है। साथ ही शिवसेना का नाम और तीर-धनुष का चुनाव चिन्ह भी एकनाथ शिंदे के पास ही रहेगा। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले में कई और खास बातें हैं, जिन्हें लेकर उद्धव ठाकरे का गुट आज खुशी मना सकता है। ये खास बातें क्या हैं, आपको बताते हैं।
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने कहा है कि शिवसेना में गुटबाजी थी, लेकिन तत्कालीन गवर्नर को इसमें दखल नहीं देना चाहिए था। कोर्ट ने कहा कि गवर्नर के पास ऐसे कोई सबूत नहीं थे, जिससे उद्धव के पास बहुमत न होना साबित होता हो। कोर्ट ने व्हिप को न मानने को भी प्राथमिक तौर पर गलत माना है। बता दें कि शिंदे गुट ने उद्धव की तरफ से नियुक्त व्हिप की जगह भरत गोगावले को व्हिप बना दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर से कहा है कि वो 16 विधायकों की अयोग्यता पर जल्द फैसला करें।
सुप्रीम कोर्ट की उपरोक्त बातें, तो उद्धव गुट के पक्ष में हैं, लेकिन इस गुट को सुप्रीम कोर्ट ने ये कहकर झटका दिया कि उनकी सरकार को फिर महाराष्ट्र की सत्ता में स्थापित नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि ऐसा संभव नहीं है क्योंकि उद्धव ठाकरे ने बहुमत परीक्षण का सामना किए बगैर ही सत्ता छोड़ दी। कोर्ट ने ये भी कहा कि ऐसी हालत में शिंदे गुट और बीजेपी के गठबंधन को सरकार गठन के लिए बुलाया जाना भी सही है। यानी उद्धव अगर पद न छोड़ते, तो उनकी सरकार की बहाली सुप्रीम कोर्ट कर सकता था।