नई दिल्ली। कोरोना की इस भयावहता में ऐसे कई चेहरे बेपर्दा हुए है जिन्होंने इस आपदा को अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने के अवसर के तौर पर इस्तेमाल किया। इन लोगों ने वैक्सीन को लेकर जबरदस्त भ्रम फैलाया। आम लोगों को गुमराह किया। वैक्सीन की गुणवत्ता पर सवाल खड़े किए। उसे इस्तेमाल न करने की सलाह दी। आज यही लोग सरकार से टीकाकरण की संख्या को लेकर सवाल पूछ रहे हैं। अब जब कोरोना से देश भर में मौते हो रही हैं, तो यही लोग सरकार को वैक्सीन पर कटघरे में खड़ा कर रहे हैं कि अभी तक लोगों को वैक्सीन क्यों नहीं मिली। इन लोगों ने मानवता के खिलाफ जघन्य अपराध किया है क्योंकि वैक्सीन पर इनके फैलाए गए भ्रम के चलते काफी लोग इस अभियान से अलग रहे।
इन गुनहगार चेहरों की फेहरिस्त में सबसे उपर नाम समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव का है। अखिलेश यादव ने 3 जनवरी को लखनऊ में एक प्रेस कांफ्रेंस की और कोरोना की इस वैक्सीन को बीजेपी की वैक्सीन करार दिया। उन्होंने वैक्सीन न लेने का ऐलान भी किया। ये बात अलग है कि आज खुद अखिलेश यादव कोरोना के शिकार हो चुके हैं और ठीक होने की राह देख रहे हैं। राजनीतिज्ञों के साथ ही मीडिया के भी कुछ एजेंडाबाजों ने वैक्सीन को लेकर जमकर भ्रम फैलाया।
Here’s a thread of all the #VaccineNaysayers who did disservice to India & humanity with #COVID19 #VaccineHesitancy
[1/n] – Akhilesh Yadav (Samajwadi Party)
“It’s BJP’s vaccine, not taking the shot”: Akhilesh Yadav (Jan 3, 2021) pic.twitter.com/ETpo8X2GsU
— Yo Yo Funny Singh (@moronhumor) April 30, 2021
न्यूज 24 के एंकर संदीप चौधरी इस गैंग की अगुवाई कर रहे थे। संदीप चौधरी ने 6 जनवरी को अपने शो में बीजेपी प्रवक्ता ज़फर इस्लाम से बहस करते हुए वैक्सीन को बेकार करार दिया। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि वे इस वैक्सीन को नहीं लगवाएंगे। इसकी गुणवत्ता संदिग्ध है। फेज 3 के ट्रायल पूरे नहीं हुए हैं। यही संदीप चौधरी 28 अप्रैल को एक बार फिर रंगे सियार की तरह टीवी पर नमूदार हुए और पूरी बेशर्मी से बहस करते हुए सवाल उठाने लगे कि टीका मेरा अधिकार है, मुझे मुफ्त में क्यों न दिया जाए।
[2/n] – Sandeep Chaudhary (News24)
“Main toh (covaxin) nahi lagwaunga, jab tak efficacy prove nahi, phase-3 trial nahi poore honge.. main toh nahi lagwaunga” (Jan 6, 2021) #VaccineNaysayers pic.twitter.com/Vy4l1eeNXZ
— Yo Yo Funny Singh (@moronhumor) April 30, 2021
इसी तरह शेखर गुप्ता के द प्रिंट में वैक्सीन को लेकर एक के बाद दूसरे एजेंडाधारी आर्टिकल की भरमार नजर आई। इसमें कोवैक्सीन को राजनीतिक जुमला तक करार दिया गया। कोवैक्सीन के साथ ही कोवीशील्ड को लेकर भी द प्रिंट के लेखों में सवाल खड़े किए गए। उद्योगपतियों का एक गैंग भी इस खेल में हिस्सेदार बना। उद्योगपति राजीव बजाज ने एनडीटीवी के एक शो में साफ तौर पर कहा कि वैक्सीन के खतरे इसके फायदों से कहीं अधिक हैं। छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्यमंत्री टीएस सिंहदेव एक कदम और आगे निकल गए। 10 जनवरी को एएनआई को दिए एक बयान में उन्होंने ऐलान कर दिया कि हम छत्तीसगढ़ में कोवैक्सीन के टीकाकरण को बिल्कुल सपोर्ट नहीं करेंगे।
[4/n] Rajiv Bajaj (MD, Bajaj Autos)
“..between being for or against the vaccine, a middle path – do the risks outweigh the benefits? For someone like me, I believe they do”. (05 Feb 2021) #VaccineNaysayers
— Yo Yo Funny Singh (@moronhumor) April 30, 2021
[5/n] TS Singh Deo (Chhattisgarh Health Minister)
We do not support the use of #COVAXIN in the vaccination process in Chhattisgarh .. (10 Jan 2021) #VaccineNaysayers https://t.co/1ZtWepTsEu
— Yo Yo Funny Singh (@moronhumor) April 30, 2021
कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने प्रेस कांफ्रेंस कर वैक्सीन पर भ्रम फैलाने की कोशिश में पीएम के नाम का भी इस्तेमाल कर दिया। उन्होंने सवाल किया कि आखिर क्यों प्रधानमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री और दूसरे केंद्रीय मंत्री पहले खुद वैक्सीन नहीं लगवा रहे। एनसीपी के नेता नवाब मलिक ने भी 11 जनवरी को बयान दिया कि पीएम को भ्रम दूर करने के लिए खुद वैक्सीन लगवानी चाहिए। विपक्ष वैक्सीन पर एक सुनियोजित तरीके से भ्रम फैलाने का अभियान चला रहा था। इसे कई स्तरों पर चलाया जा रहा था।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसी अभियान की तरत पीएम की बैठकों का भी बहिष्कार कर दिया जो वैक्सीन के मद्देनजर बुलाई गई थीं। कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने भी वैक्सीन जहर उगलने में कोई कमी नहीं छोड़ी। उन्होंने 5 जनवरी को दिए गए बयान में कहा कि वैक्सीन को कौन लगवाएगा जबकि उसकी प्रमाणिकता का भरोसा ही नहीं है। इसी तरह शशि थरूर ने 3 जनवरी को बयान दिया कि कोवैक्सीन को दिया गया अप्रूवल खतरनाक हो सकता है।
एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने कोवैक्सीन और कोवीशील्ड के बीच ही अविश्वसनीयता की दीवार खड़ी कर दी। उनके मुताबिक पीएम ने भारत बायोटेक की कोवैक्सीन का पहला डोज लिया है, इसका मतलब यह है कि सीरम इंस्टीट्यूट की कोवीशील्ड की विश्वसनीयता और असर सवालों के घेरे में है।
पत्रकार के नाम पर पार्टी विशेष के कार्यकर्ता बन चुके पत्रकारों ने देश भर में वैक्सीन को लेकर भ्रम खड़ा करने का अभियान चलाया। स्वाती चतुर्वेदी नाम की कथित पत्रकार ने ऐलान कर दिया कि उनका भारत बायोटेक में बिल्कुल भी यकीन नही है और वे कोवैक्सीन नहीं लगवाएंगी। इसी तरह सागारिका घोष नाम की कथित पत्रकार ने भी 3 जनवरी के अपने ट्वीट में वैक्सीन को एक बड़ी तबाही के संकेतों से जोड़ दिया। 2 BHK के लिए चर्चित और कार्पोरेट इंटरेस्ट में काम करने के लिए बदनाम रोहिणी सिंह नाम की कथित पत्रकार ने यहां भी कार्पोरेट हितों का एंगल भिड़ा दिया। रोहिणी सिंह ने फाइजर और मार्डना की वैक्सीन को भारत में अप्रूवल ने देने पर सवाल खड़े किए। उनको सारी दिक्कत भारतीय वैक्सीनों से रही।
आज की तारीख में कोविड के नाम पर रोना पीटना कर रहे प्रशांत भूषण ने कोरोना की मौत का भी ऐलान कर दिया था। 1 फरवरी को किए अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा कि अप्रमाणिक प्राइवेट वैक्सीन पर हमारा पैसा बेवजह खर्च किया जा रहा है जबकि कोविड अपनी स्वाभाविक मौत मर रहा है। आज की तारीख में जब वैक्सीन ही कोरोना के खिलाफ लड़ाई में सबसे मजबूत सहारा बनती दिख रही है, इन एजेंडाबाजों के चेहरे सामने लाना बेहद जरूरी है।