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Congress: CM केजरीवाल को सपोर्ट करने के मामले में कन्फ्यूज कांग्रेस, नेताओं के बीच अलग-अलग सुर

Congress: जहां एक तरफ दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष अनिल चौधरी केजरीवाल के खिलाफ आक्रमक रुख अख्तियार किए हुए हैं, तो वहीं दूसरी तरफ खड़गे दबी जुबां से उनका समर्थन कर रहे हैं। उधऱ, दिल्ली कांग्रेस के पूर्व अध्य़क्ष अजय माकन ने एक लंबा पत्र लिखकर केजरीवाल की जमकर आलोचना की है और कांग्रेस से इस मामले दूर ही रहने को कहा है। आइए, आगे आपको बताते हैं कि अजय माकन ने अपने पत्र क्या लिखा है।

नई दिल्ली। नई शराब नीति मामले में आज सीबीआई ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल से पूछताछ की। बीते दिनों उन्हें इस मामले में समन जारी किया गया था। जिसके आप सहित अन्य विपक्षी दल केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ आक्रमक हो गई थी। इसी कड़ी में गत दिनों कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस मामले को लेकर सीएम केजरीवाल को फोन किया था। हालांकि, दोनों के बीच किन मुद्दों को लेकर वार्ता हुई थी। यह स्पष्ट नहीं है, लेकिन बताया गया कि खड़गे ने केजरीवाल को इस मामले में समर्थन देने का ऐलान किया था, लेकिन आपको बता दें कि इससे पहले केजरीवाल को मिले सीबीआई के समन पर दिल्ली कांग्रेस के अध्य़क्ष ने उन्हें आड़े हाथों लिया था, तो ऐसे में एक बात तो साफ हो चुकी है कि पार्टी में इस विषय को लेकर नेताओं के बीच एकमत का अभाव है कि केजरीवाल को सपोर्ट करना है की नहीं। जहां एक तरफ दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष अनिल चौधरी केजरीवाल के खिलाफ आक्रमक रुख अख्तियार किए हुए हैं, तो वहीं दूसरी तरफ खड़गे दबी जुबां से उनका समर्थन कर रहे हैं। उधऱ, दिल्ली कांग्रेस के पूर्व अध्य़क्ष अजय माकन ने एक लंबा पत्र लिखकर केजरीवाल की जमकर आलोचना की है और कांग्रेस से इस मामले दूर ही रहने को कहा है। आइए, आगे आपको बताते हैं कि अजय माकन ने अपने पत्र क्या लिखा है।

arvind kejriwal and cbi

अजय माकन ने पत्र में क्या लिखा ?

अजय माकन ने अपने पत्र में लिखा है कि मेरा मानना है कि केजरीवाल जैसे लोगों और उनके साथियों को, जिन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं, किसी तरह की सहानुभूति या समर्थन नहीं दिया जाना चाहिए. लिकरगेट और घीगेट के आरोपों की गहन जांच होनी चाहिए और दोषी पाए जाने वालों को सजा मिलनी चाहिए। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) सहित सभी राजनीतिक नेताओं के लिए यह पहचानना महत्वपूर्ण है कि केजरीवाल द्वारा भ्रष्ट तरीकों से अर्जित धन का उपयोग पंजाब, गोवा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश सहित कई राज्यों में कांग्रेस पार्टी के खिलाफ किया गया है। , उत्तराखंड और दिल्ली। केजरीवाल ने अन्ना हजारे आंदोलन के बाद भ्रष्टाचार से लड़ने के उद्देश्य से 2013 में आम आदमी पार्टी (आप) की स्थापना की। पार्टी ने लोकपाल विधेयक को लागू करने का वादा किया, जिसे विपक्षी दलों ने कांग्रेस पार्टी में भ्रष्टाचार के समाधान के रूप में देखा। हालांकि, केजरीवाल ने सत्ता में आने के 40 दिन बाद फरवरी 2014 में एक मजबूत लोकपाल बिल की मांग करते हुए अपनी ही सरकार को भंग कर दिया, जिसे बाद में सार्वजनिक कर दिया गया। इसके बावजूद, दिसंबर 2015 में, केजरीवाल ने लोकपाल बिल का एक कमजोर संस्करण पेश किया, जो 2014 में प्रस्तावित मूल बिल से बहुत अलग था।

यह केजरीवाल के असली चरित्र और इरादों को उजागर करता है। मूल बिल, जिसने उनकी 40 दिन की सरकार को भंग करने का आधार बनाया था, अभी तक लागू नहीं किया गया है। 2015 के बाद से, केजरीवाल और उनकी पार्टी एक मजबूत लोकपाल विधेयक को आगे बढ़ाने में विफल रही है। इसके बजाय, वे केवल अधिक शक्ति की मांग के लिए अपने विरोध, मार्च और प्रति-आरोप के लिए जाने जाते हैं। अब जबकि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) या प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने केजरीवाल को तलब किया है, इसके बजाय एक मजबूत लोकपाल बिल घीगेट के आरोपों की जांच कर सकता था। अंत में, मैं सक्षम अधिवक्ताओं और वरिष्ठ कार्यसमिति के सदस्यों, जो अब संचालन समिति के सदस्य हैं, से अपील करता हूं कि कृपया अदालत में केजरीवाल या उनकी सरकार का प्रतिनिधित्व करने से बचें। जबकि किसी का भी प्रतिनिधित्व करना उनके पेशेवर दायरे में है, लेकिन केजरीवाल की सरकार और सहयोगियों के लिए ऐसा करना हमारे कार्यकर्ताओं को गलत संदेश देता है और उन्हें भ्रमित करता है। यह अंततः कांग्रेस पार्टी के वोटों को विभाजित करके भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को लाभान्वित करता है। बहरहाल, अजय माकन के उक्त पत्र से साफ जाहिर होता है कि पार्टी में इस विषय को लेकर एकमत नहीं है। अब ऐसे में आगामी दिनों में यह देखना दिलचस्प रहेगा कि इस पूरे मसले पर कांग्रेस का क्या रुख रहता है।