नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक केस की सुनवाई करते हुए कर्नाटक सरकार से सवाल किया कि मस्जिद के अंदर जय श्रीराम का नारा लगाना अपराध कैसे हुआ? हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर शीर्ष अदालत ने कर्नाटक सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को याचिका की कॉपी कर्नाटक सरकार को देने के लिए कहा है। साथ ही अदालत का कहना है कि सरकार के जवाब के बाद जनवरी में इस मामले पर आगे की सुनवाई होगी। दरअसल, यह मामला दक्षिण कन्नड़ जिले का है जहां सितम्बर में कीर्तन कुमार और सचिन कुमार नाम के दो लोगों ने मस्जिद के अंदर घुसकर जय श्रीराम के नारे लगाए थे।
धार्मिक भावनाएं आहत करने के आरोप में इन दोनों व्यक्तियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया गया। जब यह मामला कर्नाटक हाईकोर्ट पहुंचा तो जज ने इन दोनों व्यक्तियों के खिलाफ दायर मुकदमे को खारिज कर दिया। हाईकोर्ट ने मस्जिद के अंदर जय श्रीराम के नारे लगाने से धार्मिक भावनाएं आहत होने की बात को नहीं माना था। इसके बाद याचिकाकर्ता हैदर अली ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। इस पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस पंकज मिथल और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने पूछा कि यह अपराध कैसे कहा जा सकता है?
हाईकोर्ट ने नहीं माना था अपराध
इस सवाल के जवाब में याचिकाकर्ता के वकील देवदत्त कामत ने कहा कि अगर किसी धर्मस्थल में घुसकर कोई दूसरे समुदाय का व्यक्ति अपने धार्मिक नारे लगाएगा तो इससे सांप्रदायिक माहौल बिगड़ सकता है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक सरकार से इस मामले में जवाब मांगा है। इससे पहले हाई कोर्ट के जस्टिस नागप्रसन्ना की बेंच ने केस को रद्द करते हुए टिप्पणी की थी कि शिकायतकर्ता ने खुद कहा है कि क्षेत्र में जहां यह घटना हुई हिंदू और मुस्लिम आपसी सौहार्द के साथ रहते हैं तो ऐसे में दो लोगों के नारा लगाने से किसी की धार्मिक भावना को ठेस कैसे पहुंच सकती है।