नई दिल्ली। केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान का केरल सरकार के खिलाफ एक बार फिर से रौद्र रूप देखने को मिला है। उन्होंने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर वो साबित कर देते हैं कि मैं आरएसएस के एजेंडे के तहत काम कर रहा हूं या उनके एजेंडे को आगे बढ़ाने की दिशा में काम कर रहा हूं, तो मैं इस्तीफा देने के लिए तैयार हूं, लेकिन उन्हें इस बात का भी विशेष ध्यान रखना होगा कि अगर वो आरोपों को साबित नहीं कर पाए तो उन्हें भी अपने पद से इस्तीफा देना होगा। अब ऐसे में उनसे सवाल पूछना चाहता हूं कि क्या वो इस मुकाबले के लिए तैयार हैं? बता दें कि इससे पहले भी राज्यपाल केरल सरकार को ऐसी ही चुनौती दे चुके हैं।
दरअसल, खान पर सीताराम येचुरी ने आरएसएस के एजेंडे को आगे बढ़ाने का आरोप लगाया था। जिस पर अब उनकी उक्त प्रतिक्रिया सामने आई है। इस बीच राज्यपाल ने यह भी कहा कि मुझे आप एक व्यक्ति का भी नाम बता दीजिए। जिसकी मैंने नियुक्ति आरएसएस से प्रभावित होकर की है या आरएसएस के विचारों को बढ़ाने की दिशा में की है। मैंने अपने कार्यकाल में सारे कार्य संविधान के अनुरूप ही किए हैं, लेकिन अगर इसके बावजूद भी किसी को कुछ लगता है कि मैंने कुछ गलत किया है, तो मैं यह कहना चाहूंगा कि वो अपने आरोपों की पुष्टि करें।
इसके साथ ही उन्होंने राज्यवाद और प्रांतवाद के मुद्दे पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि केरल के वित्त मंत्री कहते हैं कि यूपी में पैदा हुए किसी व्यक्ति को केरल की शिक्षा प्रणाली के बारे में क्या पता होगा। उसे केरल के बारे में क्या समझ होगी। मुझे लगता है कि वो ऐसा कहकर देश की एकता को अघात पहुंचा रहे हैं। और इसके साथ ही राज्यवाद को भी बढ़ावा दे रहे हैं। उन्हें ऐसा करने से गुरेज करना चाहिए, लेकिन ये लोग अब अपनी ओछी राजनीति की नुमाइश करने के लिए अपनी निर्धारित सीमाओं का अतिक्रमण करने पर आमादा हो चुके हैं। उन्होंने आगे कहा कि मेरे पास मंत्री को हटाने की शक्ति नहीं है, क्योंकि यह मुख्यमंत्री का क्षेत्राधिकार होता है, लेकिन अगर मैं मुख्यमंत्री के पद पर विराजमान होता है, तो मैं ऐसे मंत्री को एक पल भी पद पर नहीं रहने देता जो राज्यवाद को बढ़ाने की दिशा में बयान देते हैं।
आपको बता दें कि बतौर राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान पर आरोप लग चुके हैं कि उन्होंने विभिन्न विश्वविद्यालय में कुलपति के रूप में उन लोगों की नियुक्ति की है, जो आरएसएस के विचारों को बढ़ाने की दिशा में काम करते हैं या आरएसएस के विचारों से प्रभावित हैं। खान अपने ऊपर लगे इन आरोपों का जवाब दे चुके हैं। इससे पूर्व राज्यपाल ने 24 अक्टूबर से पूर्व उन सभी कुलपतियों को पद से बर्खास्त किए जाने की मांग की थी, जिनकी नियुक्ति विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नियमों के विरुद्ध की गई थी। जिसका केरल सरकार ने विरोध किया था और राजभवन के बाहर राज्यपाल से उक्त आदेश को वापस लेने की मांग भी की थी। अब ऐसे में यह पूर माजरा आगामी दिनों में क्या रुख अख्तियार करता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।