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Gyanvapi Masjid: ‘अगर मुस्लिम पक्ष ने वैज्ञानिक सर्वे के खिलाफ….!’, कोर्ट के फैसले पर हिंदू पक्ष की दो टूक, जानें क्या कहा?

Gyanvapi Masjid: इससे पहले 14 जुलाई को इस मामले की सुनवाई हुई थी। तब मुस्लिम पक्ष ने एएसआई सर्वे का विरोध किया था। मुस्लिम पक्ष ने आशंका जताई थी कि अगर सर्वे किया गया , तो मस्जिद को क्षति पहुंच सकती है।

नई दिल्ली। वाराणसी की अजय कुमार विश्वेश की जिला अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद का एएसआई सर्वे कराने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने अपने निर्णय में स्पष्ट कर दिया है कि वजू को छोड़कर पूरे मस्जिद का सर्वे किया जाए। बता दें कि ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर हिंदू पक्ष का दावा है कि यहां मंदिर था, जिसे मुगल शासकों ने ध्वस्त कर मस्जिद का निर्माण करवाया है, लेकिन मुस्लिम पक्ष की ओर से इन दावों को सिरे से खारिज किया जा रहा है। वहीं, मुस्लिम पक्ष की ओर से लगातार प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट का भी राग अलापा जा रहा है। दरअसल, प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट के अनुसार, 1947 के बाद देश के किसी भी धार्मिक स्थल में किसी भी प्रकार का संशोधन करने की इजाजत नहीं है। अब चाहे वो मस्जिद के स्वरूप में हो मंदिर के रूप में। ध्यान दें कि इस एक्ट का राग बाबरी मस्जिद प्रकरण के दौरान भी मुस्लिम पक्ष की ओर से अलापा गया था। जिसे ध्यान में रखते हुए अब ज्ञानवापी मामले में वाराणसी की अजय कुमार विश्वेश की अदालत ने मस्जिद का वैज्ञानिक सर्वे कराने की अनुमति दी है। इस सर्वे के बाद ही साफ हो पाएगा कि विवादित स्थल पर मंदिर है या मस्जिद?

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वहीं, हिंदू पक्ष की ओर से पेश हुए अधिवक्ताओं ने स्पष्ट कर दिया कि अगर सर्वे में मंदिर होने के साक्ष्य प्राप्त हुए, तो प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट का कानून अप्रासंगिक हो जाएगा। वहीं, वाराणसी कोर्ट के इस फैसले को हिंदू पक्ष के लिए बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है। इसके साथ ही इस बात के कयास भी लगाए जा रहे हैं कि इस फैसले के खिलाफ मुस्लिम पक्ष द्वारा हाईकोर्ट का दरावाजा खटखटाया जा सकता है। संभव है कि मुस्लिम पक्ष वाराणसी अदालत के फैसले के विरोध में हाईकोर्ट का रूख करे, जिसे ध्यान में रखते हुए हिंदू पक्ष के अधिवक्ताओं ने स्पष्ट कर दिया कि अगर मुस्लिम पक्ष की ओर से हाईकोर्ट का रूख करने की नौबत आई, तो हम मामले में कैविएट याचिका दाखिल करेंगे। बता दें कि कैविएट याचिका अक्सर ऐसे मामलों में दाखिल की जाती है, जहां इस बात की संभावना बनी रहती है कि वादी पक्ष की ओर से न्यायालय द्वारा दिए गए फैसले के विरोध में ऊपरी अदालत का रूख किया जा सकता है। ऐसी परिस्थितियों में एहतियात बरतते हुए कैविएट याचिका दाखिल की जाती है।

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बता दें कि इससे पहले 14 जुलाई को इस मामले की सुनवाई हुई थी। तब मुस्लिम पक्ष ने एएसआई सर्वे का विरोध किया था। मुस्लिम पक्ष ने आशंका जताई थी कि अगर सर्वे किया गया , तो मस्जिद को क्षति पहुंच सकती है। जिसे ध्यान में रखते हुए आज कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट कर दिया कि बिना किसी क्षति के सर्वे किया जाए। वाराणसी कोर्ट के फैसले को हिंदू रक्ष की बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है। अब मामले में अगली सुनवाई 4 अगस्त होगी। इसके अलावा सर्वे को लेकर खबर है कि तीन चरणों में सर्वे संपन्न किया जाएगा।  इसके बाद असल सच्चाई सामने आ पाएगी।