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Russia and Ukraine: अगर लंबा चला रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध, तो भारत में चरम पर पहुंचेगी महंगाई, जानें कैसे

Russia and Ukraine: अगर भारत और रूस के बीच युद्ध का सिलसिला लंबा चला, तो खाने के तेल के दाम में तेजी देखने को मिलेगी, क्योंकि खाने तेल का सबसे बड़ा उत्पादन यूक्रेन है, जहां से भारत बड़ी मात्रा में तेल आयात करता है। वैसे भी पिछले कुछ दिनों भारतीय बाजारों में खाने के तेल के दाम चरम पर पहुंच चुके हैं और ऊपर से रही सही कसर रूसी राष्ट्रपति ने यूक्रेन पर हमला करके पूरी कर दी है।

नई दिल्ली। एक तो पहले से ही कोरोना वायरस के कहर के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था बदहाली के सभी पैमानों को ध्वस्त कर चुकी थी। अब जैसे-तैजे हर गुजरते वक्त के साथ हालातों में बेहतरी की बयार बह ही रही थी। कल-कारखाने लोगों की आमद से गुलजार हो ही रहे थे, तो बेरोजगारी के कहर का शिकार हो रहे लोगों की झोली में रोजगार की दरिया भी बह ही रही थी। लोगों को लग रहा था कि चलो अब काफी अर्से की बदहाली के बाद ही सही, लेकिन दुरूस्ती के हालात तो नसीब होंगे, लेकिन अफसोस रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपनी खुन्नस निकालने के लिए यूक्रेन पर हमला कर जिस तरह पूरे विश्व में हाहाकार जैसी स्थिति पैदा कर दी है, उसे लेकर अब तीसरे विश्व युद्ध की संभावना तेज हो चुकी है। यूक्रेन में रूसी सैनिकों के हमले का शिकार होकर कई लोग काल के गाल में समा चुके हैं। आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो चुका है।

यूक्रेन की तमाम आधाकारिक संरचनाएं रूसी सैनिकों के कहर का शिकार होकर अब आखिरी सांसें गिनने में मसरूफ हो चुकी है। लेकिन विश्व का एक धड़ा ऐसा भी है, जो पूरी कोशिश कर रहा है कि दोनों ही देशों के बीच चल रहे युद्ध के बीच विराम की संभावनाएं पैदा की जाए। खैर, अब इन कोशिशों के निकट भविष्य में क्या परिणाम निकलकर सामने आते हैं। यह तो फिलहाल आने वाला वक्त ही बताएगा, लेकिन रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध की स्थिति ने भारत को डांवाडोल कर दिया है। महंगाई एक बार फिर अपने चरम पर पहुंचने पर आमादा हो चुकी है। कच्चे तेल के दाम अपने शबाब पर पहुंच चुके है। शेयर बाजार में बदहाली की बयार बह रही है। यह कहने में कोई दोमत नहीं है कि अगर रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध का सिलसिला दीर्घावधि तक जारी रहा तो इसका खामियाजा भारत को भी भुगतना पड़ सकता है। आइए, जरा रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के भारत पर पड़ने वाले परिणामों के बारे में तफसील से जान लेते हैं।

निवेशकों के डूबे 13 करोड़

अब आप ही बताइए कि अभी रूस और यूक्रेन के बीच महज तीन दिनों से युद्ध का सिलसिला जारी है, तो भारतीय निवेशकों के 13 करोड़ रूपए का पलीता लग चुका है, अगर गलती से भी युद्ध लंबा चला तो हमारे निवेशकों की बदहाली अपने शबाब पर ही पहुंच जाएगी। खैर, वैश्विक बाजारों के साथ ही भारतीय शेयर बाजार धड़ाम हो गए हैं, सोने का दाम 51 हजार के पार होगा और क्रूड ऑयल 104 डॉलर प्रति बैरल पर आकर आठ साल का आंकड़ा पार कर गया। वहीं रुपये में डॉलर के मुकाबले 102 पैसे की भारी गिरावट आई।

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उधर, शेयर बाजार की बात करें, तो जोरदार बिकवाली के चलते सेंसेक्स ने इस साल की अब तक की सबसे बड़ी और इतिहास की चौथी बड़ी गिरावट देख ली। बीएसई का यह 30 शेयरों वाला सूचकांत 2702 अंक टूट गया, इसके साथ ही निफ्टी में भी 815 अंकों की जोरदार गिरावट आई। वैसे इन आंकड़ों को देखकर आपको ज्यादा हैरान और परेशान होने जरूरत नहीं है, क्योंकि इतिहास गवाह रहा है कि जब कभी-भी किन्हीं दो देशों के बीच युद्ध जैसे हालात पैदा हुए हैं, तो उससे संदर्भित देशों की अर्थव्यवस्था ने चौपट होने के मामले में कीर्तिमान स्थापित किया है।

हिंदुस्तानी रूपया होगा लाचार

वैसे तो रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध से भारतीय अर्थव्यवस्था को कई मोर्चों पर गहरा झटका लगने की संभावना है, लेकिन सर्वाधिक झटका भारतीय मुद्रा पर पड़ने जा रहा है। जानकारों की मानें तो रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध से हिंदुस्तान रूपया कमजोर होगा।। युद्ध के हालातों में अगर रुपये में इसी तरह गिरावट जारी रही तो देश में आयात महंगा हो जाएगा।

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विदेशों से आयात होने के कारण इनकी कीमतों में इजाफा तय है, मतलब मोबाइल और अन्य गैजेट्स पर महंगाई बढ़ेगी और आपको ज्यादा खर्च करना होगा। साथ ही बता दें कि भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी कच्चा तेल विदेशों से खरीदता है।

खाने के तेल का दाम बढ़ेगा

अगर भारत और रूस के बीच युद्ध का सिलसिला लंबा चला, तो खाने के तेल के दाम में तेजी देखने को मिलेगी, क्योंकि खाने तेल का सबसे बड़ा उत्पादन यूक्रेन है, जहां से भारत बड़ी मात्रा में तेल आयात करता है। वैसे भी पिछले कुछ दिनों भारतीय बाजारों में खाने के तेल के दाम चरम पर पहुंच चुके हैं और ऊपर से रही सही कसर रूसी राष्ट्रपति ने यूक्रेन पर हमला करके पूरी कर दी है। बता दें कि रूसी सैनिकों द्वारा हमले के बाद यूक्रेन में  आम जनजीवन अस्त व्यस्त हो चुका है। ऐसी स्थिति में अब आप यह सहज ही अंदाजा लगा सकते हैं कि भारत के लिए वहां से वर्तमान में खाने का तेल आयात करना आसान नहीं रहेगा।

ऑटोमोबाइल सेक्टर भी होगा प्रभावित

ऑटोमोबाइल सेक्टर भी प्रभावित होगा। वैसे भी कोरोना की आमद से इस सेक्टर ने बदहाली के सभी पैमानों को ध्वस्त करके रख दिया है। युद्ध के हालातों में अगर रुपये में इसी तरह गिरावट जारी रही तो देश में आयात महंगा हो जाएगा। विदेशों से आयात होने के कारण इनकी कीमतों में इजाफा तय है, मतलब मोबाइल और अन्य गैजेट्स पर महंगाई बढ़ेगी और आपको ज्यादा खर्च करना होगा।

AutoMobiles

 

साथ ही बता दें कि भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी कच्चा तेल विदेशों से खरीदता है। अब ऐसे में सभी यही इल्तिजा कर रहे हैं कि कैसे भी करके रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध का सिलसिला अपने विराम स्थल पर पहुंचे ताकि सभी देशों के हालात दुरूस्त हो सकें।