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छत्तीसगढ़ी बूटी अश्वगंधा देगी कोरोना को मात, बढ़ाएगी शरीर की प्रतिरोधक क्षमता

अश्वगंधा(Ashwagandha) की इस नई किस्म में रोगों से लड़ने की और ताकत पाई गई है। नए अश्वगंधा किस्म की सूखी जड़ों में प्रोटीन(Protein), कार्बोहाईड्रेट, विदाफेरिन-ए की मात्रा पहले की तुलना में अधिक पाई है।

नई दिल्ली। कोरोना से परेशान पूरी दुनिया वैक्सीन के आने का इंतजार कर रही है। वैज्ञानिकों का दावा है कि साल के अंत तक कोरोना की वैक्सीन लोगों को उपलब्ध होगी। लेकिन इस बीच भारत में इस रोग से लड़ने के लिए लोगों की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए छत्तीसगढ़ में वैज्ञानिकों ने आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी अश्वगंधा पर एक खास शोध किया है।

corona

बता दें कि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के जेनेटिक्स एंड प्लांट ब्रीडिंग विभाग के वैज्ञानिकों ने तीन साल में अश्वगंधा के स्थानीय पौधों पर शोध कर इनके गुणों का विश्लेषण करके अश्वगंधा की नई किस्म विकसित है। इसे ‘छत्तीसगढ़ अश्वगंधा-1’ नाम दिया गया है। प्रदेश में पहले से मौजूद जे-20 अश्वगंधा किस्म की तुलना में इसमें 17 प्रतिशत तक अधिक कैंसर के प्रति प्रतिरोधक क्षमता, शरीर में ऊर्जा विकसित करने और एंटी-वायरल के गुण मिले हैं।

गौरतलब है कि आईआईटी दिल्ली और जापान के नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ एडवांस इंडस्ट्रियल साइंस एंड टेक्नोलॉजी ने मिलकर आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी अश्वगंधा पर एक शोध किया है। दिल्ली और जापान के शोध का दावा है कि अश्वगंधा में ऐसे तत्व हैं, जो शरीर में कोरोना फैलने से रोक सकते हैं। अश्वगंधा विदानिया कुल का एक औषधीय पौधा है। यह जड़ी-बूटी वायरस के खिलाफ लड़ाई में इंसानी शरीर की मदद कर सकती है। ऐसे में छत्तीसगढ़ी अश्वगंधा की यह किस्म भी कारगर साबित हो सकती है। किस्म विकास में छत्तीसगढ़ काउंसिल ऑफ साइंस एंड टेक्नालॉजी ने भी मदद की है।

Ashwagandha

शोधकर्ता डॉ. एलिस तिर्की ने बताया कि स्थानीय अश्वगंधा के पौधे के गुणों की जांच करके इसकी क्षमता बढ़ाने का प्रयास किया है। छत्तीसगढ़ में जेए-20 अश्वगंधा की किस्म पहले से ही मौजूद है। इसके गुणों का विश्लेषण करके ‘छत्तीसगढ़ अश्वगंधा-1’ को विकसित किया गया है। जे-20 की तुलना में नई किस्म में 17 प्रतिशत अधिक एल्केलाइड मिला है। इसकी जड़ों की उपज 914.37 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर मिली है, जबकि जे-20 किस्म में 718.80 किलो ग्राम प्रति हेक्टेयर उत्पादन रहा है।

अश्वगंधा की इस नई किस्म में रोगों से लड़ने की और ताकत पाई गई है। नए अश्वगंधा किस्म की सूखी जड़ों में प्रोटीन, कार्बोहाईड्रेट, विदाफेरिन-ए की मात्रा पहले की तुलना में अधिक पाई है। विशेषज्ञों की मानें तो सर्दी-जुकाम होने पर अश्वगंधा का सेवन बढ़ाने से शरीर को उबरने में मदद मिलती है। वायरल संक्रमण के साथ होने वाले तनाव, थकान से उबरने में भी मदद करती है। अश्वगंधा दिल, शरीर के लिए फायदेमंद है। रोजाना अश्वगंधा का सेवन करने से व्यक्ति के शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

Ashwagandha Chattisgarh

इंदिरा गांधी कृषि विवि के कुलपति डॉ. एसके पाटिल का कहना है कि, कृषि विवि के वैज्ञानिकों ने अश्वगंधा की नई किस्म विकसित की है, जो पहले से मौजूद प्रदेश की दूसरी किस्म से बेहतर व्यवहार करेगी। राज्य बीज उप समिति ने इसका अनुमोदन कर दिया है। अब केंद्रीय बीज उप समिति में नोटिफिकेशन के लिए प्रस्ताव भेजा जाएगा।