पणजी। गोवा में आज विधानसभा चुनने के लिए एक ही दौर में सभी 40 सीटों पर वोटिंग हो रही है। पिछली बार यहां कम सीटें पाने के बाद भी बीजेपी ने विधायकों का जुगाड़ करके सरकार बना ली थी और सबसे ज्यादा सीटें हासिल करने वाली कांग्रेस को हाथ मलना पड़ गया था। इस बार यहां बीजेपी और कांग्रेस के अलावा आम आदमी पार्टी AAP और तृणमूल कांग्रेस TMC के प्रत्याशी भी मैदान में हैं। गोवा में हिंदू और ईसाई सबसे ज्यादा संख्या में हैं। हिंदू आबादी ईसाइयों से ज्यादा है, लेकिन तमाम सीटों पर ईसाई वोटर ही जीत और हार तय करते हैं। इनके अलावा धार्मिक और जातिगत गोलबंदी का भी असर चुनावों पर पड़ता है।
गोवा में विधानसभा की 40 सीटें हैं। सामान्य बहुमत के लिए किसी भी पार्टी को सिर्फ 21 सीटें चाहिए। अगर सीटों पर जातिगत दबदबे की बात करें, तो 18 सीटों पर भंडारी समाज का दबदबा है। ये ही इन सीटों पर जीत और हार तय करते हैं। आम आदमी पार्टी ने भंडारी समाज से ही सीएम का फेस घोषित किया था। इसके बाद बीजेपी ने भंडारी नेताओं को आगे ला दिया। कांग्रेस, टीएमसी और एनसीपी ने अल्पसंख्यक ईसाई और मुस्लिम के अलावा ओबीसी प्रत्याशियों पर भरोसा जताया है। ऐसे में देखना ये है कि बीजेपी दोबारा राज्य की सत्ता हासिल कर लेती है, या इन जाति और धर्म वाले समीकरणों में विपक्ष की रणनीति में फंसती है।
गोवा में ओबीसी की 19 उपजातियां हैं। इनमें भंडारी सबसे ज्यादा हैं। वैसे ओबीसी जातियों की हिस्सेदारी 30 से 40 फीसदी है। वहीं, ईसाई वोटरों की तादाद करीब 25 फीसदी है। इनके अलावा दलित, आदिवासी और खारवा हैं। इन सबकी कुल आबादी 12 फीसदी है। यानी पार्टियों के लिए इनका वोट भी अन्य की ही तरह अहम है।