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राजस्थान सरकार की घोर लापरवाही, नहीं उठाया ठोस कदम, नतीजतन किसान ने तोड़ दिया दम, जानें पूरा माजरा

Rajsthan :लखनपुरा थाना के अधिकारी पंजाब सिंह ने इस पूरे मामले को संज्ञान में लेते हुए कहा कि, ललुहरा क्रय विक्रय समिति में खाद खरीदने के लिए कतार में लगने के दौरान एक किसान की मौत हो जाना दुखद है। मिली जानकारी के मुताबिक, किसान पिछले दो घंटे से कतार में लगकर खाद खरीदने का इंतजार कर रहा था।

नई दिल्ली। सूबा राजस्थान…जिला भरतपुर…स्थान ललुहारा सहकारी क्रय विक्रय समिति…यहां एक किसान की मौत हो गई। मृतक किसान का नाम भगवान सिंह बताया जा रहा है। भगवान सिंह शाहपुरा गांव के रहने वाले थे। वे ललुहारा सहकारी क्रय विक्रय समिति में खाद खरीदने आए थे, लेकिन घंटों इंतजार के बाद भी उन्हें खाद नहीं मिला और अंत में कथित तौर उनकी तबियत खराब हो गई जिसकी बाद उन्होंने मौके पर ही दम तोड़ दिया। सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस ने तुरंत शव को नजदीक के सहकारी स्वास्थ्य केंद्र में रखवाया और इस पूरे मामले की जानकारी मृतक किसानों के परिजनों को दी गई। मृतक परिजनों को जैसे ही इसकी जानकारी लगी तो उनके ऊपर दुखों का पहाड़ टूट गया। वहीं, प्रशासन ने उनकी मृतक किसान के शव का पोस्टमार्टम कर उनके परिजनों को सौंप दिया गया।

लखनपुरा थाना के अधिकारी पंजाब सिंह ने इस पूरे मामले को संज्ञान में लेते हुए कहा कि, ललुहरा क्रय विक्रय समिति में खाद खरीदने के लिए कतार में लगने के दौरान एक किसान की मौत हो जाना दुखद है। मिली जानकारी के मुताबिक, किसान पिछले दो घंटे से कतार में लगकर खाद खरीदने का इंतजार कर रहा था। इसके बाद उसकी एकाएक हदयगति रूकने से मौत हो गई। जिससे उसकी मौत हो गई।

कालाबजारी का शुरू हो चुका है सिलसिला  

अब इसे लेकर प्रशासन पर सवाल उठाए जा रहे हैं। दरअसल, पिछले कुछ दिनों से राज्य में बड़े पैमाने पर खाद को लेकर कालाबाजारी चल रही है, जिससे किसानों को खाद प्राप्त करने के लिए घंटों में कतार में लगना प़ड़ता है, लेकिन इसके बावजूद भी किसानों को खाद नहीं मिल पाती है और आज इसी खाद की किल्लत का शिकार होकर एक किसान ने दम तोड़ दिया। बताया जा रहा है कि कई मर्तबा प्रशासन की तरफ से इसकी शिकायत की गई, लेकिन इस दिशा में कोई भी कदम नहीं उठाए गए। कृषि विभाग के अधिकारियों की तरफ खाद की किल्लत की वजह होने वाली परेशानियों को लेकर प्रशासन के समक्ष शिकायत दर्ज कराई गई। लेकिन अफसोस कोई संतुष्टिजनक कदम नहीं उठाए गए। अगर प्रशासन की तरफ से कोई कदम उठाए लिए गए होते, तो शायद आज उक्त किसान ने दम न तोड़ा होता है। अब ऐसी स्थिति में गहलोत राज में किसानों की दुर्गति का अंदाजा लगा सकते हैं।