नई दिल्ली। शनिवार को गृह मंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वाराणसी में अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन का शुभारंभ किया। इस दौरान अमित शाह ने अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि मुझे गुजराती से ज्यादा हिंदी भाषा पसंद है। हमें अपनी राजभाषा को मजबूत करने की जरूरत है। अमित शाह ने कहा कि, ”अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन को राजधानी दिल्ली से बाहर करने का निर्णय हमने वर्ष 2019 में ही कर लिया था। दो वर्ष कोरोना काल की वजह से हम नहीं कर पाएं, परन्तु आज मुझे आनंद है कि ये नई शुभ शुरुआत आजादी के अमृत महोत्सव में होने जा रही है।”
“I love Hindi language more than Gujarati. We need to strengthen our Rajbhasha,” Union Home Minister Amit Shah said while addressing ‘Akhil Bharatiya Rajbhasha Sammelan’ in Varanasi pic.twitter.com/t72S4aVYJL
— ANI UP (@ANINewsUP) November 13, 2021
अमित शाह के संबोधन की अहम बातें-
देश की नई शिक्षा नीति का एक प्रमुख बिंदू है, भाषाओं का संरक्षण व संवर्धन और राजभाषा का भी संरक्षण व संवर्धन। नई शिक्षा नीति में राजभाषा और मातृभाषा पर बल दिया गया है। प्रधानमंत्री जी ने ये जो नया परिवर्तन किया है, वो भारत के भविष्य को परिवर्तित करने वाला होगा।
दुनिया में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली लिपिबद्ध भाषाएं भारत में हैं। उन्हें हमें आगे बढ़ाना है। भाषा जितनी सशक्त और समृद्ध होगी, उतनी ही संस्कृति व सभ्यता विस्तृत और सशक्त होगी। अपनी भाषा से लगाव और अपनी भाषा के उपयोग में कभी भी शर्म मत कीजिए, ये गौरव का विषय है।
जो देश अपनी भाषा खो देता है, वो देश अपनी सभ्यता, संस्कृति और अपने मौलिक चिंतन को भी खो देता है। जो देश अपने मौलिक चिंतन को खो देते हैं वो दुनिया को आगे बढ़ाने में योगदान नहीं कर सकते हैं।
पहले हिंदी भाषा के लिए बहुत सारे विवाद खड़े करने का प्रयास किया गया था, लेकिन वो वक्त अब समाप्त हो गया है। देश के प्रधानमंत्री जी ने गौरव के साथ हमारी भाषाओं को दुनिया भर में प्रतिस्थापित करने का काम किया है।
मैं गौरव के साथ कहना चाहता हूं कि आज गृह मंत्रालय में अब एक भी फाइल ऐसी नहीं है, जो अंग्रेजी में लिखी जाती या पढ़ी जाती है, पूर्णतय: हमने राजभाषा को स्वीकार किया है। बहुत सारे विभाग भी इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
आजादी के अमृत महोत्सव के तहत में देश के सभी लोगों का आह्वान करना चाहता हूं कि स्वभाषा के लिए हमारा एक लक्ष्य जो छूट गया था, हम उसका स्मरण करें और उसे अपने जीवन का हिस्सा बनाएं। हिंदी और हमारी सभी स्थानीय भाषाओं के बीच कोई अंतरविरोध नहीं है।
प्रधानमंत्री मोदी जी ने कहा है कि अमृत महोत्सव, देश को आजादी दिलाने वाले लोगों की स्मृति को पुनः जीवंत करके युवा पीढ़ी को प्रेरणा देने के लिए तो है ही, ये हमारे लिए संकल्प का भी वर्ष है।
मोदी सरकार के सुशासन और सबका साथ-सबका विकास-सबका विश्वास-सबका प्रयास की नीति से आ रहा है देश के हर वर्ग के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन। विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के प्रदर्शन का अपडेटेड ट्रैकर।