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Union Budget 2023: उधार से आय और ब्याज चुकाने में सबसे ज्यादा होता है सरकार का खर्च, क्या 2023 के बजट में इसे बैलेंस कर सकेंगी निर्मला सीतारमण?

सरकार आज बजट में बताएगी कि किस मद में उसे कितना पैसा मिलेगा और उसका खर्च कितना होगा। इस आय और खर्च के बीच सरकार को खजाने के लिए बचत भी करनी होगी। कुल मिलाकर बजट में हर एक पैसे का हिसाब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज संसद में देंगी।

नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अपने मौजूदा कार्यकाल का 5वां आम बजट आज पेश करने वाली हैं। दुनियाभर की मौजूदा वित्तीय हालत के कारण उनपर सरकारी खजाने के लिए धन जुटाने और साथ ही चुनावों को ध्यान में रखते हुए जनता को लुभाने वाला बजट देने का दबाव है। सरकार आज बजट में बताएगी कि किस मद में उसे कितना पैसा मिलेगा और उसका खर्च कितना होगा। इस आय और खर्च के बीच सरकार को खजाने के लिए बचत भी करनी होगी। कुल मिलाकर बजट में हर एक पैसे का हिसाब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज संसद में देंगी। जिनपर मुहर लगने के बाद ही साल 2023-24 के लिए सरकार की आर्थिक गतिविधियां आने वाले अप्रैल महीने से शुरू होंगी।

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इस साल मोदी सरकार कहां से कितनी आय और कहां कितना खर्च करेगी, ये तो सीतारमण के बजट भाषण से ही पता चलेगा, लेकिन अगर पिछले साल के बजट भाषण पर गौर करें, तो सरकार की कमाई का बड़ा हिस्सा कर्ज का ब्याज चुकाने में ही चला गया। इसी तरह आय की बात करें, तो सबसे ज्यादा कमाई उधार से ही थी। 2022-23 के बजट के मुताबिक उधार से सरकार 1 रुपए में 35 पैसे पाती है। यानी जो पैसा आप और हम बचत योजनाओं में डालते हैं, उससे सरकार के खजाने में सबसे ज्यादा रकम पहुंचती है। जीएसटी की बात करें, तो इससे 16 पैसे सरकार ने पिछले साल कमाने का लक्ष्य रखा था। इसके बाद इनकम टैक्स से 15 पैसे, कॉर्पोरेशन टैक्स से 15 पैसे, एक्साइज ड्यूटी से 7 पैसे, कस्टम ड्यूटी से 5 पैसे और गैर टैक्स के जरिए 5 पैसे प्रति रुपए में सरकार कमाती है। कैपिटल रिसीट से सरकार को हर 1 रुपए में 2 पैसा मिलता है।

FM Nirmala Sitharaman

ये तो आय की बात हुई। अब सरकार के खर्चों की बात भी कर लेते हैं। पिछले साल यानी 2022-23 के बजट के मुताबिक केंद्र सरकार का सबसे ज्यादा 20 पैसा लिए गए कर्ज के ब्याज को चुकाने में खर्च होता है। वित्त आयोग को सरकार 10 पैसे देती है। केंद्रीय योजनाओं के लिए सरकार हर 1 रुपए में 9 पैसे खर्च करती है। अन्य खर्चों पर भी 9 पैसे जाते हैं। वहीं, सब्सिडी और रक्षा पर 8-8 पैसे खर्च होते हैं। जबकि, पेंशन पर 4 पैसे का खर्च होता है। कुल मिलाकर वित्त मंत्री को बजट में सारा जोर इसी पर रखना होता है कि आय के स्रोत बढ़ें, लेकिन खर्च कम से कम किया जाए। अर्थशास्त्रियों की नजरें इसी तरफ हैं।