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Security: चीन और पाक की भारत की ओर देखने की अब नहीं है हिम्मत, S-400 मिसाइलें तैनात

मिसाइल की पहली बैटरी हाल ही में रूस से मिली है। जिसके बाद इसे तैनात कर दिया गया है। इसी तरह की 4 और बैटरी भी अगले साल तक भारत को मिल जाएगी। बीते दिनों रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन दिल्ली आकर मोदी से मिले थे। भारत को और उन्नत एस-500 मिसाइल भी रूस की ओर से मिल सकते हैं।

नई दिल्ली। चीन और पाकिस्तान की हिम्मत अब हवाई घुसपैठ करने या भारत पर मिसाइलें दागने की नहीं होगी। भारतीय सेना ने रूस से खरीदे गए एस-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम की तैनाती पंजाब में कर दी है। ये जानकारी न्यूज एजेंसी एएएनआई ने रक्षा सूत्रों के हवाले से दी है। मिसाइल की पहली बैटरी हाल ही में रूस से मिली है। जिसके बाद इसे तैनात कर दिया गया है। इसी तरह की 4 और बैटरी भी अगले साल तक भारत को मिल जाएगी। बीते दिनों रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन दिल्ली आकर मोदी से मिले थे। जिसके बाद बताया जाता है कि भारत को और उन्नत एस-500 मिसाइल भी रूस की ओर से मिल सकते हैं। अमेरिका ने रूस से एस-400 की खरीद को रुकवाने की कोशिश की थी, लेकिन मोदी सरकार ने अमेरिका से साफ कह दिया था कि देश की सुरक्षा के लिए हर जरूरी कदम वो उठाएगी।

Imran khan Jinping Vaccine

एएनआई ने रक्षा सूत्रों के हवाले से बताया है कि पंजाब में एस-400 की तैनाती के बाद पाकिस्तान और चीन की तरह से किसी भी तरह के हवाई हमलों को रोका जा सकेगा। बता दें कि चीन से करीब डेढ़ साल से तनाव जारी है और लद्दाख में दोनों देशों के जवान आमने-सामने तैनात हैं। सूत्रों ने बताया कि जल्दी ही भारत को और एस-400 मिसाइल बैटरियां मिल जाएंगी। इन्हें लद्दाख से लेकर अरुणाचल तक एलएसी पर तैनात किया जाएगा। पहली बैटरी में मिसाइल लॉन्चर, रडार, गाड़ियां और अन्य उपकरण हैं। इस सिस्टम में कई तरह की मिसाइलें होती हैं। इनसे 70 से 600 किलोमीटर दूर तक दुश्मन के विमानों, ड्रोन और बैलेस्टिक मिसाइलों को निशाना बनाया जा सकता है।

PM Modi and putin

एस-400 का रडार इतना तेज होता है कि दुश्मन की जमीन से विमान या मिसाइल के उड़ने के साथ ही उसका पता लगा लेता है। एक बार में इसका रडार 300 से ज्यादा लक्ष्यों पर नजर रख सकता है और एक बार में 6 लक्ष्यों को एक साथ निशाना बना सकता है। बता दें कि एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम के 5 स्क्वॉड्रन को भारत ने रूस से 35000 करोड़ रुपये में खरीदा है। भारतीय वायुसेना के अधिकारियों और कर्मचारियों को रूस में इस सिस्टम पर ट्रेनिंग दी गई है। भारत एस-400 की कीमत बिलियन डॉलर कम कराने में सफल हुआ है।