नई दिल्ली। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली के अयोध्या को लेकर दिए गए बयान के बाद उठे विवाद पर नेपाल के विदेश मंत्रालय की तरफ से सफाई दी गई है। नेपाल के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि अयोध्या और भगवान राम पर प्रधानमंत्री ओली का बयान किसी राजनीतिक विषय से नहीं जुड़ा है और न ही किसी की धार्मिक भावना को आहत करने की उनकी कोई मंशा थी। नेपाल के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि प्रधानमंत्री का अयोध्या और उसके सांस्कृतिक महत्व को कम करने की कोई मंशा नहीं है।
नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने दावा किया कि असली अयोध्या नेपाल में है। केपी शर्मा ओली ने दावा किया है कि भगवान राम नेपाल के हैं, भारत के नहीं। केपी शर्मा ओली ने कहा कि भारत ने नेपाल में संस्कृतिक अतिक्रमण किया है, नकली अयोध्या का किया निर्माण कर लिया है। नेपाली मीडिया ने ओली के हवाले से कहा कि ‘असली अयोध्या’ नेपाल में है और ‘भगवान राम नेपाली हैं भारतीय नहीं’।
Nepal Ministry of Foreign Affairs issues clairification over PM KP Oli’s y’days’ remarks on Ayodhya & Lord Ram. “Remarks not linked to any political subject & have no intention to hurt anyone’s feelings; not meant to debasing signifiance of Ayodhya and cultural value it bears.” pic.twitter.com/xghWhjTkl8
— ANI (@ANI) July 14, 2020
ओली ने कहा कि भारत में जो अयोध्या है, वह नकली है जबकि असली अयोध्या तो नेपाल में है। नेपाली पीएम ने कहा, ‘भारत ने सांस्कृतिक अतिक्रमण के लिए नकली अयोध्या का निर्माण किया है जबकि असली अयोध्या नेपाल में है।’ बता दें कि ओली पहले भी भारत को लेकर कई तरह की बयानबाजी कर चुके हैं। हाल ही में उन्होंने कहा था कि भारत उनको सत्ता से हटाने की साजिश रच रहा है।
ओली ने तर्क दिया कि अगर भारत की अयोध्या वास्तविक है तो वहां से राजकुमार शादी के लिए जनकपुर कैसे आ सकते हैं? उन्होंने दावा किया कि ज्ञान-विज्ञान की उत्पत्ति और विकास नेपाल में हुआ। उन्होंने दावा किया कि हमने भारत में स्थित अयोध्या के राजकुमार को सीता नहीं दी, बल्कि नेपाल के अयोध्या के राजकुमार को दी थी। अयोध्या एक गांव है जो बीरगंज के थोड़ा पश्चिम में स्थित है। ओली ने कहा, ‘भारत में बनाया गया अयोध्या वास्तविक नहीं है।’
अपने ही देश के लोगों को नहीं समझा पा रहे ओली, दिल्ली में नेपाल एंबेसी के बाहर प्रदर्शन
भारत के प्रति नेपाली पीएम केपी शर्मा ओली के तीखे सुर अब उनको ही चुभने लगे हैं। चीन के बहकावे में आकर नेपाल के प्रधानमंत्री ओली ने पहले ते विवादित नक्शे को मंजूरी दी, फिर अब अयोध्या को लेकर विवादित बयान दिया, जिसे लेकर भारत में रह रहे नेपालवासी अपनी ही सरकार के खिलाफ खड़े हो गए हैं।
बता दें कि ओली ने अयोध्या को लेकर बयान दिया था कि, अयोध्या भारत में नहीं नेपाल में है। उन्होंने यूपी में अयोध्या को नकली अयोध्या तक बताया और भगवान श्रीराम को नेपाली नागरिक भी बता दिया। नेपाली पीएम के इस बयान के बाद दिल्ली में नेपाल एंबेसी के बाहर नेपाल के लोगों ने कल शाम प्रदर्शन किया।
प्रदर्शनकारियों ने नेपाल सरकार से यह मांग की कि भारत हमेशा से नेपाल का मित्र रहा है और चीन हमेशा से दुश्मनी निभाता रहा है। भारत और नेपाल का रिश्ता ऐतिहासिक रहा है। नेपाल के हर सुख-दुख में भारत सरकार हमेशा खड़ी रही है। इस बात को नेपाल के राजनेता भले ही भूल गये हो, लेकिन वहां की जनता इस बात को अच्छे तरीके से जानती है।
दरअसल, नेपाल के आदिकवि भानुभक्त की जयन्ती पर आयोजित कार्यक्रम में बोलते हुए पीएम ओपी शर्मा ओली ने कहा कि ये बात सच है कि सीता जी की शादी राम से हुई थी लेकिन वो राम हिंदुस्तान के नहीं बल्कि नेपाल के थे। प्रमाण के लिए ओली ने उनका नेपाली पता ठिकाना भी बता दिया।
दरअसल इसके पीछे नेपाली पीएम की अपनी कुर्सी के प्रति असुरक्षा की भावना है। माना जा रहा है कि कुर्सी बचाने की लड़ाई में उलझे नेपाली पीएम केपी शर्मा ओली हिंदुस्तान के खिलाफ नेपाली भावनाएं भड़काने में लगे हैं। वो चीन की हां में हां मिला रहे हैं और भारत के साथ विवाद के नए-नए मोर्चे खोल रहे हैं, लेकिन जो मोर्चा उन्होंने अयोध्या और श्रीराम के नाम पर भारत के खिलाफ खोला है उसे सिर्फ दिमागी फितूर ही कहा जा सकता है।
इससे पहले नेपाली पीएम केपी शर्मा ओली उत्तराखंड के कालापानी पर दावा जता चुके हैं। इतना ही नहीं उन्होंने नेपाली संसद में नया नक्शा पास करवाकर कालापानी को नेपाल का हिस्सा भी बता दिया था। इसके बाद ओली बिहार में उलझ गए और अब ऐतिहासिक तथ्यों की झुठलाने की कोशिश कर रहे हैं।