नई दिल्ली। सीमा पर तनातनी और हिंद महासागर के क्षेत्र में चीन की मनमानी के बीच समुद्र में हिंदुस्तान की ताकत और बढ़ गई है। INS विक्रांत का पुर्नजन्म हो गया है समुद्र के सिकंदर की दमदार वापसी हुई है। पहले की तुलना में INS विक्रांत काफी शानदार है। इसके साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है जो एयरक्राफ्ट कैरियर डिजाइन तैयार भी करने के साथ-साथ बना भी सकता है। शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने कोचिन में देश के पहले स्वदेशी युद्धपोत INS विक्रांत को भारतीय नौसेना को समर्पित कर दिया है। इस मौके पर उनके साथ केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी उनके साथ मौजूद रहे।
इसके साथ ही पीएम मोदी ने नौसेना के नए निशान का भी अनावरण किया। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि, अब तक भारतीय नौसेना के ध्वज पर गुलामी की पहचान बनी हुई थी। लेकिन अब आज से छत्रपति शिवाजी से प्रेरित, नौसेना का नया ध्वज समंदर और आसमान में लहराएगा।
चालिए अब हम आपको देश के पहले स्वदेशी युद्धपोत INS विक्रांत की खासियत और कुछ अनसुने पहलुओं के बारे में बताते है। सबसे पहले फ्लाइंग डेक की बात करें तो ये 262 मीटर लंबा और 62 मीटर चौड़ा है। यानी कि करीब 2 फुटबाल ग्राउंड की जीतना ये बड़ा है। जिसके ऊपर मिग-29, रोमियो हेलीकॉप्टर, समेत 30 एयरक्राफ्ट एक वक्त में तैनात हो सकते है। इसके अलावा वजन की बात करें तो 45000 हजार टन इसका है और 2400 किलो मीटर लंबी इसकी केबलिंग इसके अंदर की गई है यानि कोचिन से दिल्ली तक केबलिंग हो सकती है।
Here are some glimpses of #IACVikrant: The largest & most complex warship built in Indian Maritime History!
Designed by #IndianNavy & constructed by @cslcochin.A step further towards #AatmaNirbharBharat. pic.twitter.com/f7ToKkWLrB
— A. Bharat Bhushan Babu (@SpokespersonMoD) September 1, 2022
इसके अलावा स्वदेशी युद्धपोत INS विक्रांत में जो लोहा- स्टील का इस्तेमाल किया है वो करीब 4 एफिल टॉवर के बराबर लगाया गया है। खास बात ये है कि पहला स्वदेशी युद्धपोत है जिसमें 76 फीसदी स्वदेशी उपकरण लगे हुए है।
साल 2009 में INS विक्रांत बनना शुरू हुआ था और लगभग 13 साल बाद प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय नौसेना में शामिल किया। बता दें कि 20 हजार करोड़ की लागत से स्वदेशी युद्धपोत INS विक्रांत बना है।