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Indira And Ayodhya: 1983 में बतौर राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह आए थे अयोध्या, जानिए उनके दौरे की इनसाइड स्टोरी

Indira And Ayodhya: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद आज अयोध्या में रामलला के दर्शन-पूजन करने आ रहे हैं। राम जन्मभूमि परिसर आने वाले वह देश के पहले राष्ट्रपति होंगे। उनसे पहले एक और राष्ट्रपति भी अयोध्या आए थे, लेकिन उन्होंने रामलला के दर्शन नहीं किए थे। उनका नाम था ज्ञानी जैल सिंह। ज्ञानी जैल सिंह ने राष्ट्रपति के तौर पर 1983 में अयोध्या का दौरा किया था।

अयोध्या। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद आज अयोध्या में रामलला के दर्शन-पूजन करने आ रहे हैं। राम जन्मभूमि परिसर आने वाले वह देश के पहले राष्ट्रपति होंगे। उनसे पहले एक और राष्ट्रपति भी अयोध्या आए थे, लेकिन उन्होंने रामलला के दर्शन नहीं किए थे। उनका नाम था ज्ञानी जैल सिंह। ज्ञानी जैल सिंह ने राष्ट्रपति के तौर पर 1983 में अयोध्या का दौरा किया था। उनके दौरे की वजह तो सरकारी तौर पर धार्मिक बताई गई थी, लेकिन उसका राम मंदिर आंदोलन से अंदरूनी तौर पर गहरा नाता था। जैल सिंह अयोध्या में दो धार्मिक स्थलों पर ही गए थे। पहला था कनक भवन। जिसके बारे में कहा जाता है कि माता सीता को कैकेयी ने शादी के मौके पर अपनी तरफ से गिफ्ट दिया था। दूसरी जिस जगह जैल सिंह गए थे, वो था गुरुनानकपुरा का गुरुद्वारा। तो आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर जैल सिंह अयोध्या क्यों आए थे और इसका राम मंदिर आंदोलन से क्या नाता था।

zani singh
आम तौर पर लोग जानते हैं कि राम मंदिर आंदोलन 1990 के दशक से शुरू हुआ, लेकिन हकीकत ये नहीं है। हकीकत ये है कि 1983 में यूपी के मुजफ्फरनगर से राम मंदिर आंदोलन की पहली आवाज उठी थी। यहां के जीआईसी मैदान से विराट हिंदू सम्मेलन हुआ था। जिसमें मुरादाबाद की कांठ सीट से विधायक और यूपी के कैबिनेट मंत्री रहे कांग्रेस नेता दाऊ दयाल खन्ना ने राम जन्मभूमि मुक्ति के लिए आवाज उठाई थी। इसके अलावा इसी सम्मेलन में मथुरा और काशी के धार्मिक स्थलों को भी हिंदुओं को वापस देने की मांग उठी थी। बाकायदा इस बारे में एक चिट्ठी तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी को भी भेजी गई थी।

ghani singh
इसी सम्मेलन के बाद अचानक ज्ञानी जैल सिंह का अयोध्या दौरा प्रस्तावित हो गया। माना जाता है कि मौके की नजाकत को भांपते हुए इंदिरा गांधी ने उनका अयोध्या दौरा कराया। ताकि सरकार ये जान सके कि राम जन्मभूमि के मसले पर अयोध्या के लोगों की राय क्या है। जैल सिंह को इंदिरा का काफी करीबी माना जाता था। वह देश के गृहमंत्री भी रह चुके थे। बहरहाल, राम मंदिर के आंदोलन ने इसके बाद से ही तूल पकड़ना शुरू किया और आखिरकार सुप्रीम कोर्ट के जरिए भगवान रामलला को उनका जन्मस्थान 2019 में वापस मिल ही गया।