newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

PM मोदी ने ‘मन की बात’ में जिन चंद्रिका प्रसाद संतोखी का किया जिक्र, जानें कौन है वह…

चंद्रिका प्रसाद को सूरीनाम में चान प्रसाद कहा जाता है। संस्कृत में शपथ लेने के बाद वह भारतीय सोशल मीडिया के साथ-साथ अब “मन की बात” में पीएम मोदी के संबोधन का हिस्सा भी बन गए।

नई दिल्ली। 26 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मन की बात कार्यक्रम में चंद्रिका प्रसाद संतोखी का जिक्र किया। इस नाम के जिक्र के साथ ही लोग इस शख्स को लेकर उत्सुकता के साथ गूगल करने लगे। तो चलिए हम आपको बताते हैं कि जिस शख्स का नाम पीएम मोदी ने मन की बात में लिया, वो आखिर है कौन?

PM Narendra Modi

चंद्रिका प्रसाद संतोखी सूरीनाम के नए राष्ट्रपति हैं, जिन्होंने हाल ही में राष्ट्रपति पद की शपथ ली है। संतोखी भारतीय मूल के हैं, जो लेटिन अमेरिकी देश सूरीनाम के राष्ट्रपति चुने गए हैं। उन्होंने राष्ट्रपति पद की शपथ संस्कृत भाषा में ली है। इसकी वजह से संतोखी की काफी चर्चा भी है। चंद्रिका प्रसाद संतोखी संस्कृत में शपथ लेकर इस भाषा का मान तो बढ़ाया ही है साथ में यह भी बता दिया है कि उन्हें भारतीय संस्कृति से कितना लगाव है।

Chandrikapersad Santokhi

चंद्रिका प्रसाद को सूरीनाम में चान प्रसाद कहा जाता है। संस्कृत में शपथ लेने के बाद वह भारतीय सोशल मीडिया के साथ-साथ अब “मन की बात” में पीएम मोदी के संबोधन का हिस्सा भी बन गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चंद्रिका प्रसाद संतोखी को राष्ट्रपति बनने पर बधाई भी दी है। बता दें कि सूरीनाम एक पूर्व डच उपनिवेश है, जहां 587,000 की आबादी में 27.4 प्रतिशत लोगों के साथ भारतीय मूल के लोग सबसे बड़ा जातीय समूह हैं और चंद्रिका प्रसाद की पार्टी मुख्य तौर पर भारतीय समुदाय का प्रतिनिधित्व करती है और पार्टी को युनाइटेड हिंदुस्तानी पार्टी कहा जाता है। राष्ट्रपति पद के चुनाव में चंद्रिका प्रसाद ने पूर्व सैन्य नेता डेसी बॉउटर्स की को हराया है।

Suriname President Daisy Bouters
डेसी बॉउटर्स

डेसी बॉउटर्स की नेशनल पार्टी ऑफ सूरीनाम (एनपीएस) देश में आर्थिक संकट के कारण मई में चुनाव हार गई थी। संतोखी को विरासत में बॉउटर्स से खस्ताहाल अर्थव्यवस्था मिली है, जिन्होंने चीन और वेनेजुएला के साथ घनिष्ठ संबंध स्थापित करते हुए देश को आर्थिक समस्याओं का शिकार बना दिया। बॉउटर्स ने 1980 में निर्वाचित सरकार का तख्ता पलट दिया था। उन्हें 15 विरोधियों की हत्या के मामले में अदलत ने 20 साल कैद की सजा सुनाई है जिसके खिलाफ उन्होंने अपील की हुई है।