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UP: 08 माह में 81% अधिक बच्चों को उपलब्ध करायी आयरन और फोलिक एसिड की गोलियां

Uttar Pradesh: बता दें कि बच्चों और किशोरों को एनीमिया से बचाने के साप्ताहिक आयरन, फोलिक एसिड पूरक आहार के रूप में दिया जाता है। वर्ष 2020 में कोरोना संक्रमण के चलते लंबे समय तक स्कूल बंद रहे तो यह कार्यक्रम भी सिमट गया था। इसमें प्रगति मात्र एक प्रतिशत रह गई थी। जुलाई 2022 तक यूनीसेफ व स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त प्रयास से प्रगति की स्थिति आठ प्रतिशत तक पहुंची थी।

लखनऊ। बच्चों और किशोरों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए पूरक आहार के तौर पर आयरन और फोलिक एसिड उपलब्ध कराने में आकांक्षी जनपद श्रावस्ती ने शानदार प्रदर्शन किया है। 08 माह पहले जहां महज 08 फीसदी बच्चे इस पूरक आहार का लाभ पा रहे थे, वहीं अब 87% बच्चों को आयरन और फोलिक एसिड की गोलियां मिल रही हैं। योगी सरकार द्वारा आकांक्षी जनपद श्रावस्ती में किए गए इस प्रयास की यूनिसेफ ने भी सराहना की है। यूनिसेफ इंडिया ने अपने फेसबुक पेज पर योगी सरकार की इस उपलब्धि की जानकारी साझा करते स्कूलों, घरों, आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों और किशोरों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए जारी कार्यों के बारे में भी बताया है।

किशोरों को एनीमिया से बचाने के साप्ताहिक आयरन दिया जाता हैं

बता दें कि बच्चों और किशोरों को एनीमिया से बचाने के साप्ताहिक आयरन, फोलिक एसिड पूरक आहार के रूप में दिया जाता है। वर्ष 2020 में कोरोना संक्रमण के चलते लंबे समय तक स्कूल बंद रहे तो यह कार्यक्रम भी सिमट गया था। इसमें प्रगति मात्र एक प्रतिशत रह गई थी। जुलाई 2022 तक यूनीसेफ व स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त प्रयास से प्रगति की स्थिति आठ प्रतिशत तक पहुंची थी। इसके बाद योजनाबद्ध ढंग से काम हुआ। यूनिसेफ का सहयोग मिला और महज आठ माह स्थिति में चमत्कारिक बदलाव हुआ। आयरन व फोलिक एसिड सप्लीमेंट का साप्ताहिक वितरण प 87 प्रतिशत तक पहुंच गया है।

01 लाख बच्चे 77 हजार किशोरों को मिलती है पिंक व ब्लू गोली

श्रावस्ती जनपद में 05 साल से 10 साल तक की आयुवर्ग के करीब 01 लाख 01 हजार बच्चे हैं। राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत इन्हें पिंक गोली दी जाती है। 11 साल से 19 साल तक के बच्चों की संख्या 75 हजार 365 है। इन्हें नीली गोली देनी होती है। अभी 87 प्रतशित बच्चे इसका सेवन कर रहे हैं। जनवरी में पिंक गोली वितरण की प्रगति 81 प्रतिशत व नीली गोली वितरण की प्रगति 79 प्रतिशत रही। फरवरी में पिंक गोली का वितरण 87 प्रतिशत व नीली गोली का वितरण 86 प्रतिशत तक पहुंच गया।