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Online Poll: क्या फ्रांस द्वारा कट्टरपंथी सोचों के खिलाफ उठाया गया कदम सही है? ऑनलाइन पोल में 97% से अधिक ने कहा ‘हां’

Online Poll: पैगंबर मोहम्मद के कार्टून दिखाने की वजह से टीचर की हत्या के बाद फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों (emmanuel macron) ने फ्रीडम ऑफ स्पीच का समर्थन किया था। इसके जरिए Charlie Hebdo को भी पैगंबर मोहम्मद का कार्टून बनाने की आजादी मिलती है जिसके बाद पूरी दुनिया में इस बयान के खिलाफ लोग सड़कों पर उतर आए।

नई दिल्ली। पैगंबर मोहम्मद के कार्टून दिखाने की वजह से टीचर की हत्या के बाद फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने फ्रीडम ऑफ स्पीच का समर्थन किया था। इसके जरिए Charlie Hebdo को भी पैगंबर मोहम्मद का कार्टून बनाने की आजादी मिलती है जिसके बाद पूरी दुनिया में इस बयान के खिलाफ लोग सड़कों पर उतर आए। इसके बाद से बांग्लादेश, तुर्की समेत कई मुस्लिम देश फ्रांस के खिलाफ हो गए हैं। इसके ठीक बाद फ्रांस के नीस में एक चर्च के बाहर एक बुजुर्ग महिला की पिटाई सहित 3 व्यक्तियों की हत्या कर दी गई। जिसके बाद फ्रांस में इस्लामी चरमपंथ को सुर्खियों में ला दिया है। इससे सिर्फ दो हफ्ते पहले पैगंबर मोहम्मद के कैरिकेचर का जिक्र करने को लेकर फ्रांस में ही एक शिक्षक सैमुअल पैटी की हत्या कर दी गई थी।

France Attack

धर्म के नाम पर इस तरह के आतंक की निंदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई वैश्विक नेताओं ने की। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने नीस चाकू के हमले पर सख्त रुख अपनाया और इसे फ्रांसीसी मूल्यों पर हमला कहा और यह भी दावा किया कि ‘इस्लाम संकट का सामना कर रहा है’।

Bhopal protest France

फ्रांस के राष्ट्रपति ने इस हमले के बाद इस्लामिक कट्टरपंथी सोच और हिंसा के आरोपी धार्मिक केंद्रों को बंद करने का वादा किया है। हालांकि, मैक्रों के इस सख्त रुख की वजह से दुनिया के कई हिस्सों में मुस्लिम समूहों द्वारा व्यापक विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया गया है। इसके बाद दुनिया भर के मुस्लिम प्रदर्शनकारियों ने मैक्रों पर इस्लामोफोबिया का आरोप लगाया और फ्रांसीसी सामानों के बहिष्कार का भी आह्वान किया।

इसी को लेकर न्यूज़ रूमपोस्ट ने 30 अक्टूबर को एक ऑनलाइन पोल आयोजित किया और लोगों से पूछा, “क्या बढ़ते आतंकवाद के ख़िलाफ़ फ़्रांस का रवैया ठीक है?”

97% से अधिक लोगों ने इस पोल में कहा कि आतंक के खिलाफ फ्रांस का रवैया बिल्कुल ठीक है। जबकि 3% से कम लोगों ने कहा कि मैक्रों इस्लामोफोबिया के शिकार हैं और ऐसे में उनका यह रवैया बिल्कुल गलत है।