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Rahul Gandhi And Haryana Assembly Election: राहुल गांधी को हरियाणा में कांग्रेस के बहुमत हासिल करने का भरोसा नहीं?, इस सवाल की ये है वजह

Rahul Gandhi And Haryana Assembly Election: 2019 में हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे देखें, तो कांग्रेस को 31 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। बीजेपी पिछले 10 साल से हरियाणा की सत्ता पर काबिज है। हालांकि, 2019 के चुनाव में बीजेपी को खुद के दम पर बहुमत नहीं मिला था। उसने जेजेपी संग सरकार बनाई थी।

नई दिल्ली। क्या राहुल गांधी को ये भरोसा नहीं है कि हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अपने दम पर बहुमत हासिल कर लेगी? ये सवाल इसलिए क्योंकि इंडिया टुडे ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में राहुल गांधी ने पार्टी के नेताओं से अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी से गठबंधन पर उनकी राय जाननी चाही। हरियाणा में 5 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग होनी है। इसके नतीजे 8 अक्टूबर को आएंगे।

अगर 2019 में हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे देखें, तो कांग्रेस को 31 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। हरियाणा में बीजेपी 10 साल से सत्ता में है। 2019 में बीजेपी को खुद के दम पर बहुमत नहीं मिला था। बीजेपी ने दुष्यंत चौटाला की जेजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी। हरियाणा विधानसभा में 90 सीट हैं और बहुमत के लिए 46 विधायक होने जरूरी हैं। हरियाणा में इस बार के विधानसभा चुनाव की बात करें, तो हर सीट पर बहुकोणीय मुकाबला देखने को मिल सकता है। इसकी वजह ये है कि बीजेपी, कांग्रेस, जेजेपी और आईएनएलडी के अलावा बीएसपी, समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी भी यहां मैदान में उतरने जा रहे हैं।

राहुल गांधी के आम आदमी पार्टी और कांग्रेस में गठबंधन की इच्छा में एक पेच और है। अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने पहले ही एलान कर रखा है कि वो हरियाणा की सभी 90 सीट पर चुनाव लड़ेगी। अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल हरियाणा में कई जनसभाएं भी कर चुकी हैं। कांग्रेस के तमाम नेताओं ने भी हरियाणा की सभी विधानसभा सीटों पर पार्टी के प्रत्याशी उतारे जाने का बयान दिया था। सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में कांग्रेस नेतृत्व ने 34 उम्मीदवारों के नाम भी हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए फाइनल कर दिए हैं। अब अगर आम आदमी पार्टी से कांग्रेस गठबंधन का रास्ता टटोलती भी है, तो उसे बड़ी संख्या में सीटों से खुद को अलग करना होगा। साथ ही मसला ये भी है कि लोकसभा चुनाव में जिस तरह दिल्ली में कांग्रेस का साथ मिलने के बावजूद आम आदमी पार्टी को एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं हुई, उसे देखते हुए क्या अरविंद केजरीवाल हरियाणा में कांग्रेस से हाथ मिलाने को तैयार होंगे?