newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

Ishrat Jahan Encounter Case: कोर्ट ने माना इशरत जहां लश्कर ए तैयबा की आंतकी थी, 3 पुलिस अधिकारी बरी

Ishrat Jahan Encounter Case: वहीं इस एनकाउंटर की बात करें तो क्राइम ब्रांच ने जून 2004 में इशरत जहां व उसके तीन साथियों जावेद शेख, अमजद अली व जीशान जौहर को एक मुठभेड़ में मार गिराया था।

नई दिल्ली। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत ने बुधवार को इशरत जहां मुठभेड़ मामले में गुजरात पुलिस के 3 आरोपी अधिकारियों – जीएल सिंघल, तरुण बारोट और ए. चौधरी को बरी कर दिया और उनके खिलाफ कार्यवाही भी रद्द कर दी। सीबीआई के विशेष न्यायाधीश विपुल रावल ने बुधवार को गुजरात के तीन पुलिस अधिकारियों द्वारा पेश किए गए डिस्चार्ज एप्लिकेशन की अनुमति दी और उन्हें आईपीसी की धारा 341, 342, 343, 365, 368, 302 और 201 के तहत अपराधों और भारतीय शस्त्र अधिनियम की धारा 25(1)(ई) और 27 के तहत अपराधों से बरी कर दिया गया। उन्हें 15,000 रुपये के निजी बांड पर रिहा किया गया। गुजरात सरकार द्वारा तीन आरोपी पुलिस अधिकारियों – आईपीएस अधिकारी जीएल सिंघल, सेवानिवृत्त डिप्टी एसपी तरुण बारोट और सहायक उपनिरीक्षक ए. चौधरी के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी से इनकार करने के बाद सीबीआई की विशेष अदालत ने उनके खिलाफ कार्यवाही रद्द कर दी और उन्हें मामले से बरी कर दिया।

Isharat Jahan Terrorist
इन तीनों पुलिसकर्मियों पर मुंब्रा की 19-वर्षीय लड़की की हत्या, आपराधिक साजिश, अपहरण और अवैध हिरासत के आरोप लगे थे। इशरत जहां और उसके साथी जावेद शेख उर्फ प्रणेश पिल्लई, जीशान जौहर और अमजद अली राणा 15 जून, 2004 को पुलिस मुठभेड़ में अहमदाबाद के बाहरी इलाके में मारे गए थे। सीबीआई के वकील आर.सी. कोडेकर ने बुधवार को यह तर्क दिया कि गुजरात सरकार ने जिस अर्जी पर आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी से इनकार किया था, वह विवेकपूर्ण नहीं था। इसलिए आवेदन को खारिज कर दिया जाना चाहिए।

सीबीआई कोर्ट ने गुजरात पुलिस की उस कहानी पर विश्वास किया जिसमें कहा गया था कि “उन्हें इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) से सूचना मिली थी कि चार आतंकवादी गुजरात में दाखिल हुए हैं और जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने उन सभी को मार दिया है, इसलिए पुलिस अधिकारियों ने अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए इस कार्रवाई को अंजाम दिया।”

अदालत ने यह भी कहा कि वर्तमान मामले में, सीबीआई ने अभियोजन के लिए मंजूरी की खातिर कोई अर्जी दाखिल नहीं की है। जब यह बात स्थापित हो गई कि अभियुक्तों ने अपने आधिकारिक कर्तव्यों का पालन करते हुए कार्रवाई की है तो सीबीआई को अभियोजन के लिए मंजूरी मिलनी चाहिए।

PP Pandey

गौरतलब है कि इशरत जहां मुठभेड़ मामले में एक सत्र अदालत में सात पुलिसकर्मियों पर मुकदमा चलाया गया था। एक आरोपी और शिकायतकर्ता जे.जी. परमार की मौत मामले की सुनवाई के दौरान ही हो चुकी थी। मामले में जब तक सीबीआई चार्जशीट दाखिल करती, तब तक कमांडो मोहन कलासवा की भी मृत्यु हो गई।

वहीं इस एनकाउंटर की बात करें तो क्राइम ब्रांच ने जून 2004 में इशरत जहां व उसके तीन साथियों जावेद शेख, अमजद अली व जीशान जौहर को एक मुठभेड़ में मार गिराया था। इस एनकाउंटर मामले में गुजरात के पूर्व पुलिस महानिदेशक पी पी पांडे पूर्व आईपीएस एवं क्राइम ब्रांच के मुखिया डी जी बंजारा तथा पुलिस उपाध्यक्ष एनके अमीन को भी आरोपी बनाया गया था।