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Nadimarg Massacre: जम्मू-कश्मीर के नदीमर्ग नरसंहार केस को खोलने के हाईकोर्ट ने दिए आदेश, 2 बच्चों समेत 24 लोगों की आतंकियों ने ली थी जान

1990 में जम्मू-कश्मीर में आतंकियों ने ‘रलीव, गलीव, चलीव’ यानी रहना है तो इस्लाम ग्रहण करो, या यहां से चले जाओ या फिर जान गंवाओ का नारा दिया। इसके कारण ज्यादातर कश्मीरी पंडित घाटी से पलायन कर गए। फिर भी कुछ पंडित परिवार कश्मीर घाटी में रह गए। ऐसे ही पंडितों को सेना की वर्दी पहनकर आए लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने नदीमर्ग में 23 मार्च 2003 को कतार में खड़ा कर गोलियों से भून दिया था।

श्रीनगर। आपने अगर फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ The Kashmir Files देखी होगी, तो उसके सबसे अंतिम दृश्य में है कि शिवा नाम के बच्चे समेत कई महिलाओं और लोगों को आतंकी एक कतार में खड़ा कर गोली मार देते हैं। फिल्म के इस दृश्य में जम्मू-कश्मीर में साल 2003 में हुए नदीमर्ग नरसंहार को दिखाया गया था। इस मामले में केस भी दर्ज हुआ था, लेकिन उसे सुनवाई के बगैर बंद कर दिया गया था। अब जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने अहम फैसला लेते हुए नदीमर्ग नरसंहार के केस को फिर से खोलने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में क्या कहा है, ये हम आपको बताएंगे, लेकिन उससे पहले जान लीजिए कि नदीमर्ग में 23 मार्च 2003 को आखिर हुआ क्या था।

J&K HC order on nadimarg massacre

1990 में जम्मू-कश्मीर में आतंकियों ने ‘रलीव, गलीव, चलीव’ यानी रहना है तो इस्लाम ग्रहण करो, या यहां से चले जाओ या फिर जान गंवाओ का नारा दिया। इसके कारण ज्यादातर कश्मीरी पंडित घाटी से पलायन कर गए। फिर भी कुछ पंडित परिवार कश्मीर घाटी में रह गए। ऐसे ही पंडितों को सेना की वर्दी पहनकर आए लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने नदीमर्ग में 23 मार्च 2003 को कतार में खड़ा कर गोलियों से भून दिया था। इस नरसंहार में जान गंवाने वालों में 11 पुरुष, 11 महिलाएं और 2 बच्चे थे। इन बच्चों में से एक सिर्फ 2 साल का था। इस मामले का केस दर्ज हुआ था, लेकिन करीब 10 साल पहले बंद हो गया था। अब हाईकोर्ट के जस्टिस संजय धर ने 21 अगस्त को केस फिर से खोलने का आदेश दिया है। इस मामले में जैनापोरा, शोपियां में धारा 302, 450, 395, 307, 120-बी, 326, 427 आरपीसी, 7/27 आर्म्स एक्ट और धारा 30 के तहत केस दर्ज कर 7 लोगों का चालान भी पुलिस ने किया था। बाद में केस बंद कर दिया गया। अब हाईकोर्ट 15 सितंबर, 2022 को केस में अगली सुनवाई करेगा।

nadimarg massacre

जस्टिस धर ने केस को खोलने का आदेश देते हुए कहा कि इसकी सुनवाई के दौरान, अभियोजन पक्ष ने निचली अदालत के समक्ष एक आवेदन दायर किया, जिसमें कमीशन पर सामग्री अभियोजन गवाहों की जांच करने की अनुमति मांगी गई थी। अभियोजन पक्ष के अनुसार, ये गवाह कश्मीर घाटी से बाहर चले गए थे और खतरे के डर से शोपियां में निचली अदालत के समक्ष पेश होने से हिचक रहे थे। उपरोक्त आवेदन प्रधान सत्र न्यायाधीश, शोपियां की ओर से अपने 09.02.2011 के आदेश से खारिज कर दिया गया था। उस आदेश को अभियोजन ने आपराधिक पुनरीक्षण याचिका संख्या 18/2011 के माध्यम से हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। इस मामले में केस को किसी और कोर्ट में ट्रांसफर की गुहार लगाई गई थी। इस अर्जी को भी 2014 में हाईकोर्ट ने ही खारिज कर दिया था। जस्टिस संजय धर ने कहा कि हाईकोर्ट के उस आदेश को वापस लिया जाता है। ये आदेश कानून की नजर में शून्य है।