लखनऊ। उत्तर प्रदेश में हाथरस का मामला विपक्ष में बैठे राजनीति दलों द्वारा काफी तेजी के साथ उठाया गया। इसको लेकर तमाम दल योगी सरकार पर निशाना साधने से बाज नहीं आए। हालांकि योगी सरकार ने इस मामले में तेजी के साथ कार्रवाई की और गैर-जिम्मेदार अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया। इसके साथ ही योगी सरकार ने इस मामले में सीबीआई जांच की सिफारिश भी कर दी है। आपको बता दें कि इन सबके बाद इस मामले में खुलासा हुआ है कि हाथरस मामले को लेकर योगी सरकार की छवि को नुकसान पहुंचाने का काम किया गया था। हाथरस मामले को लेकर हुए बवाल के पीछे की मंशा पीएम मोदी और सीएम योगी की छवि को खराब करने की थी। तैयारी कुछ ऐसी थी कि, इसके लिए जातीय दंगे कराने की साजिश रची गई थी और करोड़ों रूपयों की फंडिग भी की गई थी। आपको बता दें कि दंगों को लेकर रातोंरात वेबसाइट भी बनाई गई थी।
बता दें कि इस वेबसाइट के तार बदनाम संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल से पाए गए हैं। इसके लिए इस्लामिक देशों से हुई जमकर फंडिंग हुई थी और जाँच एजेंसियों के हाथ अहम और चौंकाने वाले सुराग लगे हैं। यूपी शासन व्यवस्था को चुनौती देने के लिए प्रदेश में जातीय दंगों की साजिश करा दुनिया में पीएम मोदी और योगी सरकार की छवि को ख़राब करने के लिए जस्टिस फॉर हाथरस के नाम से रातों रात वेबसाइट तैयार हुई की गई थी। इस वेबसाइट में फ़र्ज़ी आईडी से हजारों लोगों को जोड़ा गया था। विरोध प्रदर्शन की आड़ में बेवसाइट पर प्रदेश में दंगे कराने और दंगों के बाद बचने के तरीके भी बताये गये थे। इतना ही नहीं मदद के बहाने दंगों के लिए फंडिग भी की जा रही थी। फ़ंडिंग की बदौलत अफ़वाहें फैलाने के लिए मीडिया और सोशल मीडिया के दुरूपयोग करने के भी सुराग मिले हैं।
जांच एजेंसियों के हाथ लगी वेबसाइट की डिटेल्स और पुख्ता जानकारी
आपको बता दें कि यूपी में योगी सरकार की सतर्कता के चलते अराजकतत्वों की मंशा कामयाब नहीं हो पाई लेकिन इनकी पोल अब खुलती जा रही है। यूपी में अमेरिका में हुए दंगों की तर्ज पर ही घटना को अंजाम देने की कोशिश थी। इसको लेकर देश भर में जातीय दंगे कराने की तैयारी की गई थी। बहुसंख्यक समाज में फूट डालने के लिए मुस्लिम देशों और इस्लामिक कट्टरपंथी संगठनों से पैसे मंगाए गए थे। सीएए हिंसा में शामिल उपद्रवियों और राष्ट्रविरोधी तत्वों पर योगी सरकार ने जिस तरीके से कार्रवाई की थी, उसका बदला लेने के लिए दंगे की योजना बनाई गई थी, जिसके लिए ही वेबसाइट बनाई गई थी।
आपत्तिजनक कंटेंट मिले हैं
गौरतलब है कि वेबसाइट दंगा करने की रणनीति बताते हुए कहा गया था कि चेहरे पर मास्क लगाकर पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों को विरोध प्रदर्शन की आड में निशाना बनाया जाय। इसमें कहा गया था कि, प्रदेश में नफरत का ऐसा बीज बोया जाय जिससे बहुसंख्यकों में फूट डाला जा सके। इसके लिए वेबसाइट पर तरह-तरह के तरीके भी बताए गए थे। इसके अलावा वेबसाइट पर मिले और भी आपत्तिजनक कंटेंट मिले हैं।
हाथरस की घटना का सहारा लिया
दंगा कराने के लिए हाथरस की घटना का सहारा लिया जा रहा था, इसे तूल देकर देशभर में आपसी नफरत पैदा करने की साजिश सामने आई है। दंगे की लिए तैयार की गई इस बेवसाइट ने वालंटियरों की मदद से हेट स्पीच और भड़काऊ सियासत की भी स्क्रिप्ट तैयार की थी। मीडिया और सोशल मीडिया के जरिए फेक न्यूज, फोटो शाप्ड तस्वीरों को फैलाकर, अफवाहों, एडिटेड विजुल्स को लोगों तक पहुंचाकर दंगे भड़काने का पूरा इंतजाम किया गया था।
सोशल मीडिया के बड़े एकाउंटों का इस्तेमाल
अपनी साजिश में दंगा की मंशा रखने वाले कामयाब तो हो जाते लेकिन योगी सरकार की मुस्तैदी और दंगाईयों के खिलाफ योगी सरकार की सख्ती से उनकी सारी कोशिशें नाकाम हो गई हैं। हाथरस मामले को ढाल बनाकर नफरत फैलाने के लिए दंगों के मास्टर माइंड ने कुछ मीडिया संस्थानों और सोशल मीडिया के बड़े एकाउंटों का इस्तेमाल किया। इसके लिए अच्छी खासी रकम खर्च की गई।
कंटेंट एजेंसियों के पास मौजूद
जानकारी के मुताबिक जब इस वेबसाइट को लेकर सुरक्षा एजेंसियां सक्रिय हुईं तो रातोंरात ये वेबसाइट बंद हो गई। फिलहाल इस वेबसाइट पर मौजूद कंटेंट एजेंसियों के पास मौजूद हैं।