नई दिल्ली। शायद ही कोई दिन बीतता है, जब कांग्रेस के खेमे से एक्सपेरिमेंट यानी नए-नए कदम उठाने की खबरें न आती हों। ऐसी ही एक ताजा खबर चर्चा में है। इस खबर के केंद्र में हैं पार्टी के वरिष्ठ नेता और मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ। बताया जा रहा है कि कमलनाथ को कांग्रेस आलाकमान बड़ी जिम्मेदारी देने जा रहा है, लेकिन पार्टी में इसके विरोध में सुर भी उठ रहे हैं। क्योंकि इससे अगले साल पंजाब में होने वाले विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस की हालत बिगड़ सकती है। दरअसल, कमलनाथ ने गुरुवार को दिल्ली पहुंचकर कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी और महासचिव प्रियंका वाड्रा से मुलाकात की थी। इसके बाद ही चर्चा शुरू हुई कि कमलनाथ को पार्टी का कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष या उपाध्यक्ष बनाया जा सकता है। इसकी सुगबुगाहट के बाद ही पार्टी में कमलनाथ विरोधी सुर सुनाई देने लगे।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक कमलनाथ को कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष या उपाध्यक्ष बनाने से पंजाब में होने वाले विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी को बड़ी मुश्किल हो सकती है। वजह है 1984 के सिख विरोधी दंगों में शामिल होने का कमलनाथ पर आरोप। बता दें कि साल 2016 में कमलनाथ को कांग्रेस ने पंजाब में पार्टी का प्रभारी बनाया था, लेकिन विरोध के बाद विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उन्हें इस पद से हटाकर हरियाणा का प्रभार सौंपा गया था।
कमलनाथ को कांग्रेस आलाकमान के भरोसेमंद नेताओं में गिना जाता है। गांधी परिवार तक उनकी सीधी पहुंच है, लेकिन उनके खिलाफ कांग्रेस में आवाज उठाने वालों की भी कमी नहीं है। मध्यप्रदेश कांग्रेस में भी उनके खिलाफ आवाज उठती रही है।