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Chandrayaan-3: ISRO ने दक्षिणी ध्रुव को ही क्‍यों चुना? आखिर क्या है वजह

Chandrayaan-3: चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव का हिस्सा काफी ठंडा बताया जाता है। सूरज की रोशनी यहां कम मात्रा में पहुंचती है। इसके अलावा यहां सूरज की किरण तिरछी पड़ने की वजह से चांद के दक्षिणी ध्रुव पर अंधेरा छाया रहता है। यहां तापमान भी काफी कम होता है। वहीं, नासा की रिपोर्ट के मुताबिक, दक्षिणी ध्रुव के कुछ हिस्सों पर सूरज की रोशनी भी आती है।

नई दिल्ली। चंद्रयान-3 अपने मिशन के तहत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करेगा। अब तक दुनिया के किसी भी देश ने चंद्रमा के इस हिस्से पर लैंड नहीं किया है। ऐसे में अगर भारत दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करने मे सफल रहा तो यकीनन यह हम सभी भारतवासी के लिए गर्व का पल होगा। हालांकि, बीते मंगलवार को इसरो प्रमुख एस सोमनाथ पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि हम चंद्रमा पर सफल लैंडिंग करने में कामयाब होंगे। देशभर में चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग को लेकर दुआओं का दौर जारी है। कही मंदिरों में पूजा-अर्चना की जा रही है, तो कहीं मस्जिदों में नमाज पढ़ी जा रही है। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग को लेकर लोग प्रार्थना करते हुए नजर आ रहे हैं। उधर, इस खास मौके पर इसरो का भी ताजा ट्वीट सामने आया है, जिमसें बताया गया है कि चंद्रमा की सफल लैंडिंग अब शाम 6 : 30 मिनट पर होगी। वहीं स्थिति दुरूस्त बनी हुई है।

बहरहाल, अब सभी देशवासी को उस पल का इंतजार है, जब चंद्रयान चांद पर लैंड करेगा, लेकिन आपको बता दें कि चांद पर लैंडिंग से पहले देशवासियों के बीच एक सवाल को लेकर कौतूहल बना हुआ है। दरअसल, वो सवाल यह है कि आखिर इसरो के वैज्ञानिकों ने लैंडिंग के लिए चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव को ही क्यों चुना? आखिर क्यों नहीं हमारे वैज्ञानिकों ने चांद के अन्य हिस्सों को चुना? आइए, आगे कि रिपोर्ट में इसके पीछे की वजह जानते हैं।

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दरअसल, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव का हिस्सा काफी ठंडा बताया जाता है। सूरज की रोशनी यहां कम मात्रा में पहुंचती है। इसके अलावा यहां सूरज की किरण तिरछी पड़ने की वजह से अंधेरा भी छाया रहता है। यहां तापमान भी काफी कम होता है। वहीं, नासा की रिपोर्ट के मुताबिक, दक्षिणी ध्रुव के कुछ हिस्सों पर सूरज की रोशनी भी आती है। जिससे साफ जाहिर होता है कि वहां सूरज की रोशनी पहुंचती है। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव का तापमान 54 डिग्री सेल्सियस है। वहीं, दक्षिणी ध्रुव के कुछ हिस्सों में सूरज की रोशनी नहीं आती है, जिसकी वजह से यहां तापमान 248 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। बहरहाल, अब इसरो के वैज्ञानिक अब यह पता करने की कोशिश करेंगे कि क्या चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर जीवन की संभावना है। ध्यान दें , आज तक दुनिया का कोई भी देश चंद्रमा के इस हिस्से पर नहीं पहुंचा है। भारत ये कारनाम करने वाला पहला देश होगा। हालांकि, बीते दिनों रूस ने भारत से पहले चांद पर पहुंचने की कोशिश की थी, लेकिन उसके नाकामी लगी।