newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

जानिए कैसे Covid-19 से जंग जीत ली भारत के इस सबसे बुजुर्ग जोड़े ने

इस समय कोरोना संक्रमण की चपेट में सबसे ज्यादा बुजुर्ग ही जीवन की लड़ाई हार रहे हैं, ऐसे में भारत के सबसे बुजुर्ग जोड़े ने इस बीमारी को मात दी है। जिसे मेडिकल समुदाय के लोग ‘चमत्कार’ बता रहा है।

केरल।  इस समय कोरोना संक्रमण की चपेट में सबसे ज्यादा बुजुर्ग ही जीवन की लड़ाई हार रहे हैं, ऐसे में भारत के सबसे बुजुर्ग जोड़े ने इस बीमारी को मात दी है। जिसे मेडिकल समुदाय के लोग ‘चमत्कार’ बता रहे हैं।

दरअसल, केरल के 93 वर्षीय थॉमस अब्राहम और उनकी 88 वर्षीय पत्नी मरियम्मा को यह संक्रमण इटली से पिछले महीने लौटे उनके बेटा, बहु और पोते से लगा था। लेकिन अब परिवार के पांचों सदस्य संक्रमण मुक्त हो गए हैं। कई दिन तक गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती रहने के बाद दोनों के कोरोना वायरस संक्रमण से पूरी तरह मुक्त हो गए हैं, जिसे चमत्कार बताया जा रहा है।

नहीं बदला खाने का अंदाज 

अस्पताल के पृथक वार्ड में भर्ती रहने के दौरान भी थॉमस अब्राहम ने अपने खाने-पीने का अंदाज नहीं बदला था। वहां भी वह पझनकांजी (चावल से बना व्यंजन), कप्पा और कटहल ही खा रहे थे। उन्होंने काफी सादगी से अपना जीवन जिया है, उन्होंने शराब-सिगरेट को कभी हाथ तक नहीं लगाया।

corona kit

थॉमस और मरियम्मा का परिवार

आपको बता दें कि थॉमस और मरियम्मा का परिवार काफी बड़ा है। जिसमें उनके तीन बच्चे, सात पोते-पोतियां और 14 परपोते-परपोतियां हैं। गौरतलब है कि रिजो, उसके माता-पिता, दादा-दादी के अलावा उसकी बहन, बहनोई और चाचा भी कोरोना वायरस से संक्रमित हुए थे। रिजो की बहन और बहनोई दोनों नर्स हैं और आठ महीने पहले इटली से लौटे हैं। रिजो ने बताया, ‘दादा दादी को उम्र संबंधी दिक्कतें भी थीं। लेकिन कोट्टायम मेडिकल कॉलेज के नर्सों और डॉक्टरों ने उन्हें अपने परिवार की तरह माना और उनका ख्याल रखा। हमारा जिस तरह से ख्याल रखा गया, उसके लिए हम सरकार, स्वास्थ्य मंत्री और मुख्यमंत्री को धन्यवाद देते हैं।’

महामारी से बचना चमत्कार

इटली में रेडियोलॉजी के क्षेत्र में काम करने वाले रिजो का कहना है, ‘यह चमत्कार है कि वे इस महामारी से बच गए। डॉक्टरों और स्वास्थ्य विभाग ने उन्हें बचाने का हरसंभव प्रयास किया। रिजो और उनके माता-पिता वर्षों से इटली में रहे रहे हैं। उन्होंने अपने दादा-दादी के इलाज के लिए राज्य सरकार की प्रशंसा की। रिजो ने बताया, ‘हम अगस्त में केरल आने वाले थे, लेकिन दादा जी ने कहा कि जल्दी आ जाओ, इसलिए हम आ गए। लेकिन, अब लगता है कि यह अच्छा ही हुआ वरना अभी हम इटली में होते।

उन्होंने कहा, ‘अपनी पढ़ाई के दिनों में मैं दादाजी के साथ ही रहता था, हम काफी करीब हैं। उन्होंने कहा कि हम उनसे मिलने जल्दी आ जाएं।’ रिजो का कहना है कि इटली के मुकाबले केरल में उनके सुरक्षित रहने की संभावना ज्यादा है। उन्होंने कहा, ‘वहां की सरकार ने कोरोना वायरस संक्रमण के शुरुआती लक्षणों को सामान्य फ्लू समझ लिया था। लेकिन बाद में चीजें हाथ से निकल गयीं। इटली में हम जहां रहते हैं, वह ज्यादा प्रभावित नहीं है।’ उन्होंने कहा, ‘हमें विश्वास है की केरल की अच्छी और क्षमतावान मेडिकल टीम ने इस महामारी से हमें स्वस्थ होने में मदद की है। अगर हम इटली में होते तो शायद नहीं बचते।’