नई दिल्ली। केंद्र सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार केवी सुब्रमण्यम ने अपने तीन साल के कार्यकाल को संपन्न कर अब अपनी सेवा को विराम देने का फैसला किया है। उन्होंने ट्वीटर पर अपने इस्तीफे के संदर्भ में एक बड़ा नोट लिखते हुए तीन वर्षों के अनुभवों को शब्दों में बयां कर साझा किया है। इसके अलावा उन्होंने अपनी आगामी योजनाओं के बारे में कहा कि भविष्य में वे शिक्षा जगत में काम कर छात्र-छात्राओं के बीच अपने अनुभवों को साझा करना चाहेंगे। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान केंद्र सरकार की आर्थिक नीतियों को सशक्त करने का काम किया है।
उन्होंने ट्वीटर पर अपने इस्तीफे के संदर्भ में जानकारी देते हुए कहा कि मुख्य आर्थिक सलाहकार का तीन वर्षों के कार्यकाल को संपन्न करने के बाद मैंने शिक्षा क्षेत्र में सक्रिय होने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि इन तीन वर्षों के दौरान मुझे राष्ट्र की सेवा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। इसके लिए मैं हमेशा कृतज्ञ रहूंगा। अपने कार्यकाल के दौरान मुझे अद्भुत सहयोग व उत्साह प्राप्त हुआ है। उन्होंने कहा कि अपने कार्यकाल के दौरान मुझे पीएम नरेंद्र मोदी जैसे प्रखर नेता संग काम करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। गौरतलब है कि केवी सुब्रमण्यम ऐसे वक्त में मुख्य आर्थिक सलाहकार के पद पर रहे जब देश कोरोना की वजह से आर्थिक चुनौतियों से घिरा हुआ था। जब देश को एक ऐसे आर्थिक नीतियों की दरकार थी जिससे कि देश की गर्त में जा रही अर्थव्यवस्था को एक नई रफ्तार दी जा सकें। इस दिशा में केवी सुब्रमण्यम की आर्थिक नीतियां काबिल-ए-तारीफ हैं।
I have decided to return back to academia following the completion of my 3-year fulfilling tenure. Serving The Nation has been an absolute privilege ?and I have wonderful support and encouragement?. My statement: @PMOIndia @narendramodi @FinMinIndia @nsitharamanoffc @PIB_India pic.twitter.com/NW5Y64kxJ6
— K V Subramanian (@SubramanianKri) October 8, 2021
वहीं, अभी तक इस बात की जानकारी नहीं है कि केवी सुब्रमण्यम के बाद किसे इस पद की जिम्मेदारी प्रदान की जाएगी। 7 दिसंबर 2018 को मुख्य आर्थिक सलाहकार का पदभार ग्रहण करने वाले सुब्रमण्यम से पूर्व सुब्रमण्यम स्वामी इस पद पर थे।
इससे पहले केवी सुब्रमण्यम ने सेबी भारतीय प्रतिभूती विनियम बोर्ड, आरबीआई व कई केंद्रीय आर्थिक समितियों का हिस्सा रह चुके हैं। उन्हें देश की आर्थिक गतिविधियों व नीतियों की बेहतर समझ है। इन सबसे साफ जाहिर होता है कि जब वे शिक्षा जगत में सक्रिय होंगे तो इसका फायदा छात्रों को होगा।