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LIC Dividend: विपक्षी दलों ने एलआईसी के डूब जाने की बात कहकर मचाया था हल्ला, सरकारी कंपनी ने उल्टे मुनाफा कमाकर दिखाया

1956 में बनी एलआईसी के इस साल 31 मार्च तक के आंकड़ों को देखें, तो इसका ऐसेट बेस 45.50 लाख करोड़ और लाइफ फंड 40.81 लाख करोड़ का है। इस तरह ये अब भी देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी है। जबकि, अन्य निजी कंपनियां भी उदारीकरण के दौर में बीमा क्षेत्र में काफी पहले उतरी हैं।

नई दिल्ली। पिछले साल विपक्षी दलों ने हल्ला मचाया था कि मोदी सरकार अब आम लोगों को बीमा की सुविधा देने वाली जीवन बीमा निगम यानी एलआईसी को बेचने जा रही है। जब सरकार ने एलआईसी को नहीं बेचा, तो पिछले दिनों अडानी पर हिंडेनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट को आधार बनाकर फिर आरोप लगाया गया कि लोगों का पैसा मोदी सरकार ने एलआईसी के जरिए अडानी की कंपनियों के शेयर में लगवा दिया है और अब आम लोगों का पैसा डूब जाएगा। विपक्ष की तरफ से लगाया गया ये आरोप भी निराधार साबित हुआ। अब विपक्ष के नेताओं को ये जानकर झटका लग सकता है कि जिस एलआईसी को लेकर उन्होंने मोदी सरकार पर तमाम आरोप लगाए, उसी एलआईसी ने अपनी कमाई का अच्छा-खासा हिस्सा सरकार को सौंपा है।

एलआईसी ने शुक्रवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को 1831.08 करोड़ रुपए का चेक सौंपा है। ये रकम उसके मुनाफे का हिस्सा है। एलआईसी में केंद्र सरकार की 96.50 फीसदी हिस्सेदारी है। इस तरह एलआईसी में सरकार के कुल 6,10,36,22,781 शेयर हैं। एलआईसी ने हर शेयर पर 3 रुपए के हिसाब से सरकार को अपने मुनाफे के हिस्से के तौर पर 1800 करोड़ से ज्यादा की रकम सौंपी है। एलआईसी के चेयरमैन सिद्धार्थ मोहंती ने मुनाफे का चेक खुद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को सौंपा। एलआईसी ने 2023 के वित्तीय वर्ष के लिए बीती 26 मई को 3 रुपए प्रति शेयर डिविडेंड का एलान किया था। इसके लिए उसने रिकॉर्ड डेट 21 जुलाई 2023 रखी थी।

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साफ है कि एलआईसी के बारे में जो भी आशंकाएं विपक्ष जता रहा था, वे निराधार साबित हुई हैं। आम लोगों का पैसा भी एलआईसी में सुरक्षित है और सरकार का बड़ा शेयर भी कंपनी में है। 1956 में बनी एलआईसी के इस साल 31 मार्च तक के आंकड़ों को देखें, तो इसका ऐसेट बेस 45.50 लाख करोड़ और लाइफ फंड 40.81 लाख करोड़ का है। इस तरह ये अब भी देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी है। जबकि, अन्य निजी कंपनियां भी उदारीकरण के दौर में बीमा क्षेत्र में काफी पहले उतरी हैं।