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Lord Hanuman Birthplace Controversy: क्या है दो राज्यों के बीच छिड़ा हनुमान जन्मस्थान विवाद

Lord Hanuman Birthplace Controversy : वहीं, दूसरे पक्ष यानि तिरुमला तिरुपति देवस्थानम कमेटी का कहना है कि पुराणों और शिलालेखों जैसे प्राचीन ग्रंथों में स्पष्ट रूप से हनुमान जी के जन्मस्थल के रूप में अंजनाद्री का उल्लेख है, जिसे अब तिरुमाला कहा जाता है…अप्रैल में TTD ने अंजनाद्री के दावे को रेखांकित करते हुए एक बुकलेट पब्लिश की थी, जो दिसंबर 2020 में गठित 8 सदस्यीय पैनल की एक रिपोर्ट पर आधारित थी।

नई दिल्ली।  हमारे देश में अदालत एक मसला हल नहीं करती कि उसके बाद दूसरा विवाद खड़ा हो जाता है, अब देखिए न! भगवान श्रीराम की जन्मभूमि को लेकर कई सालों तक निचली अदालत से ऊपरी अदालत तक लंबा विवाद चला। 2019 में इस मुद्दे पर जारी कानूनी जंग का तब पटाक्षेप हो गया जब सुप्रीम कोर्ट का अंतिम निर्णय आया, उसके बाद अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण भी शुरू हो गया। लेकिन अब भगवान राम के सबसे बड़े भक्त हनुमान जी की जन्मभूमि पर भी विवाद शुरू हो गया है। वैसे, ये विवाद दो धर्मों के बीच नहीं बल्कि 2 राज्यों की धार्मिक संस्थाओं के बीच का है। क्या है ये पूरा मामला आइए समझते हैं।

हनुमान के जन्मस्थान को लेकर आंध्रप्रदेश और कर्नाटक में क्या विवाद है?  hanuman place of birth andhra pradesh or karnataka – News18 हिंदी

आंध्र प्रदेश में मौजूद तिरुमला तिरुपति देवस्थानम यानि TTD बुधवार को अंजनाद्री मंदिर में एक समारोह आयोजित करने जा रहा है, जहां पिछले साल अप्रैल में राम नवमी पर हनुमान जन्मस्थान के रूप में औपचारिक अभिषेक किया गया था, लेकिन कर्नाटक का श्री हनुमान जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र इस बात से सहमत नहीं है। इस ट्रस्ट का दावा है कि वाल्मीकि रामायण में विशेष रूप से उल्लेख करते हुए लिखा गया है कि हनुमानजी का जन्म किष्किंधा के अंजनाहल्ली में हुआ है। माना जाता है कि ये स्थान हम्पी के निकट तुंगभद्रा नदी के किनारे स्थित है।

अयोध्या के बाद अब हनुमान जन्मभूमि पर उठा विवाद, जानें क्या है पूरा मामला

वहीं, दूसरे पक्ष यानि तिरुमला तिरुपति देवस्थानम कमेटी का कहना है कि पुराणों और शिलालेखों जैसे प्राचीन ग्रंथों में स्पष्ट रूप से हनुमान जी के जन्मस्थल के रूप में अंजनाद्री का उल्लेख है, जिसे अब तिरुमाला कहा जाता है…अप्रैल में TTD ने अंजनाद्री के दावे को रेखांकित करते हुए एक बुकलेट पब्लिश की थी, जो दिसंबर 2020 में गठित 8 सदस्यीय पैनल की एक रिपोर्ट पर आधारित थी, लेकिन कर्नाटक के हनुमान जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने 6 पन्नों के अपने एक लेटर में टीटीडी के इस दावे का विरोध किया था। TTD ने कई वैदिक और धार्मिक विद्वानों द्वारा स्वीकार किए गए पौराणिक, साहित्यिक, पुरातात्विक और भौगोलिक साक्ष्य के आधार पर पर ये दावा किया है…तिरुमला तिरुपति देवस्थानम के सीईओ जवाहर रेड्डी ने मीडिया से कहा कि गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज की रचित रामचरितमानस में इस संबंध में ठोस प्रमाण मिलते हैं…इससे पहले राम भक्त हनुमान के जन्म स्थान को लेकर चल रहे इस विवाद को सुलझाने के लिए पिछले साल मई में बातचीत हुई थी, लेकिन दोनों राज्य किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सके।