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Maharashtra: अमरावती में उबाल, उन्मादी भीड़ ने मंदिर में की तोड़फोड़, पुजारी से भी की मारपीट

Maharashtra :महाराष्ट्र की गलियों को हिंसा की आग में झुलसाने पर आमादा हो चुके इन लोगों के चेहरों पर तो न ही पुलिस का खौफ दिख रहा है और न ही प्रशासन का, लेकिन इनके चेहरे पर महाराष्ट्र को हिंसा की आग में झुलसाने की अधूरी ख्वाहिश जरूर झलक रही है।

नई दिल्ली। अगर आप यह समझना चाहते हैं कि आखिर कानून-व्यवस्था की धज्जियां कैसे उड़ाई जाती है…कैसे सरेआम पुलिस की नाक के नीचे हिंसा की आग सुलगाई जाती हैं..कैसे पल भर में ही हंसती खिलखिलाती गलियों को वीरान कर दिया जाता है…कैसे पल भर में ही लोगों के मुस्कुराते चेहरों को खौफजदा कर दिया जाता है…कैसे चंद उन्मादी भीड़ के आगे सरकार लाचार और बेबस हो जाती है…तो चलिए हमारे साथ महाराष्ट्र…जी हां..वही महाराष्ट्र जहां उद्धव सरकार का चलता है राज…वही उद्धव सरकार जिन्होंने सत्ता के लालच में आकर अपनी दशकों से चली आ रही विचारधारा से समझौता करने से भी नहीं किया गुरेज और नतीजा यह हुआ कि आज ना वो घर की  है और न ही घाट की। खैर, छोड़िए, बात करते हैं महाराष्ट्र की, महाराष्ट्र हिंसा की आग में झुलस रहा है, लेकिन अफसोस वहां की उद्धव सरकार और पुलिस प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठी है।

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महाराष्ट्र की गलियों को हिंसा की आग में झुलसाने पर आमादा हो चुके इन लोगों के चेहरों पर तो न ही पुलिस का खौफ दिख रहा है और न ही प्रशासन का, लेकिन इनके चेहरे पर महाराष्ट्र को हिंसा की आग में झुलसाने की अधूरी ख्वाहिश जरूर झलक रही है। आखिर कौन हैं ये उन्मादी भीड़ और क्यों उद्धव राज में महाराष्ट्र की गलियों को खाक करने पर हो चुके हैं आमादा। हम आपको सब कुछ बताएंगे, लेकिन उससे पहले हम आपको कुछ वीडियोज दिखाते हैं, जो सोशल मीडिया की दुनिया में इस वक्त काफी सुर्खियों में हैं।

चलिए, पहले देखिए ये वीडियो

उन्मादी लोगों का ये हुजूम…जो कि अभी आपने वीडियो में देखा है…महाराष्ट्र की गलियों को हिंसा की आग से खाक करने की कसम खा चुके हैं…इन्हें ना कानून का खौफ है और ना ही पुलिस का… हाथ में कलम रखने की उम्र में ये लोग पत्थर लेकर मरने मारने पर उतारू हो चुके हैं। जबरन लोगों की दुकानें बंद करवा रहे हैं। लोगों को मार रहे हैं। सरकारी समेत निजी संपत्तियों को अपनी पिताजी की पैतृक संपत्ति समझकर उसे आग के हवाले कर रहे हैं। जिस उम्र में और जिन हाथों में कलम होनी चाहिए। उस उम्र में ये लोग हिंसा कर रहे हैं। हद तो तब हो जाती है कि जब उन्मादी भीड़ों की ये टोली हिंदुओं की धार्मिक आस्था को ठेस पहुंचाने के लिए मंदिर को निशाना बनाने पर आमादा हो जाते हैं।

The Hitavada न्यूजपेपर के मुताबिक,  कहते हैं कि इतिहास खुद को दोहराता है। ये उन्मादी भीड़ उसी इतिहास की तर्ज पर मंदिरों को निशाना बना रहे हैं…मंदिरों को लूट रहे हैं…लोगों की आस्था को ठेस पहुंचा रहे हैं…इतना ही नहीं, इन उन्मादी भीड़ की टोली ने एक पुजारी को भी नहीं बख्शा…उस पर हमला किया..आखिर ये सब क्या हो रहा है महाराष्ट्र में, लेकिन अफसोस इसे शायद महाराष्ट्र सरकार की लाचारी कहना ज्यादा मुनासिब रहेगा कि अभी तक उद्धव सरकार की तरफ से इस हमले की भत्सर्ना के संदर्भ में कोई-भी बयान जारी नहीं किया गया है। आखिर कल तक हिंदुओं व हिंदुत्व को लेकर इतनी प्रखर व मुखर रहने वाली सरकार  इतनी मजबूर कैसे हो गई। यकीनन, यह विवेचना का विषय है और इस विवेचना पर हम विस्तार से करेंगे चर्चा, लेकिन आइए उससे पहले समझते हैं कि महाराष्ट्र हिंसा की आग में झुलस क्यों रहा है।

क्यों झुलस रहा महाराष्ट्र?

हिंसा की आग में धधकते महाराष्ट्र की कहानी को समझने के लिए आपको सबसे पहले चलना होगा त्रिपुरा.. जी हां.. वही त्रिपुरा जहां पिछले कुछ दिनों से कुछ विशेष समुदाय के लोग हिंसा पर आमादा हो चुके हैं। महाराष्ट्र की तर्ज पर भी इन लोगों को न पुलिस का खौफ और न ही प्रशासन का। दरअसल,  बीते दिनों किसी ने यह झूठी खबर फैला दी कि त्रिपुरा में मस्जिद को तोड़ दिया गया है। जैसे ही मुस्लिम समुदाय को यह खबर लगी, तो उन्होंने कानून व्यवस्था का लिहाज किए बगैर उग्र होते हुए हिंसा पर आमादा हो गए। पहले तो त्रिपुरा को आग में झुलसाया और अब महाराष्ट्र झुलस रहा है, लेकिन अंदर की हकीकत तो कुछ और ही निकली है। दरअसल, त्रिपुरा में किसी भी मस्जिद को तोड़ा ही नहीं गया था। यह खबर 100 फीसद झूठी थी, लेकिन विशेष समुदाय के लोगों ने एक झूठी खबर की वजह से दो-दो राज्यों को हिंसा की आग में लपेटकर रख दिया और हैरानी इस बात को लेकर है कि कल तक धर्मनिरपेक्षता की दुहाई देने वाले लोग पता नहीं क्यों इस मसले पर अपनी बेबाकी दिखाने से बच रहे हैं, लेकिन जिन राज्यों में चुनाव हैं, वहां की जनता जरूर ऐसे लोगों को मुंहतोड़ जवाब देगी।