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कांग्रेस के खिलाफ ही ममता ने खोल दिया मोर्चा, खुद को सबसे बड़ा विपक्षी नेता साबित करने के लिए दीदी ने विपक्षी दलों की मीटिंग से बनाई दूरी

दिल्ली यात्रा के दौरान जब ममता बनर्जी से पूछा गया कि वे सोनिया गांधी से मुलाक़ात क्यों नहीं कर रही हैं तो उनका जवाब था कि क्या हर बार सोनिया से मिलना जरूरी है, संविधान में तो ऐसा नहीं लिखा गया”। टीएमसी के तेवर इस वक्त यही इशारा कर रहे हैं कि कांग्रेस को पीछे छोड़ ममता बनर्जी को आगे बढ़ाने की कोशिश जारी है।

नई दिल्ली। हाल ही के दिनों में जिस तरह टीएमसी, कांग्रेस के नेताओं को तोड़कर अपनी पार्टी से जोड़ने में लगी हुई दिखाई दी उससे कांग्रेस के नेता आक्रोशित हैं। आक्रोश इस बात का भी है कि जिस टीएमसी को साथ लेकर कांग्रेस आलाकमान संसद में सरकार को घेरने की बात करती है, वही टीएमसी कांग्रेस को एक के बाद एक जख्म देती जा रही हैं। बीजेपी के खिलाफ विपक्ष की एकजुटता में टीएमसी की बड़ी भूमिका है लेकिन अब टीएमसी कांग्रेस को ही झटका देने में लगी है। तो क्या ‘मोदी बनाम ममता’ के ‘ममता बनाम कांग्रेस’ की टक्कर शुरू हो चुकी है ?

टीएमसी ने शुरू किया कांग्रेस के खिलाफ “शंखनाद”?

mamta banarjee

संसद सत्र से पहले टीएमसी का ‘इंकार’
दरअसल ताजा मामला संसद सत्र शुरू होने से पहले कांग्रेस द्वारा बुलाई गई विपक्षी पार्टियों की बैठक से शुरू हुआ है। कांग्रेस ने संसद सत्र के दौरान सरकार को घेरने के लिए विपक्ष को एकजुट करने कर लिए विपक्षी पार्टियों की एक बैठक बुलाई है। लेकिन टीएमसी ने इस बैठक में शामिल होने से इंकार कर दिया। पिछले दिनों करीब चार दिन तक ममता बनर्जी दिल्ली में रहीं लेकिन सोनिया गांधी ने नहीं मिली। जब ममता दिल्ली में थीं तो टीएमसी ने कांग्रेस को कई झटके दिए। टीएमसी ने मेघालय में कांग्रेस के 17 विधायकों में से 12 को तोड़ लिया। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री मुकुल संगमा भी शामिल थे।

soniya gandhi

कांग्रेस के साथ तालमेल बनाने में कोई दिलचस्पी नहीं
इससे कांग्रेस के नेता टीएमसी पर बौखलाए हुए हैं। इस मामले को हाईकमान के सामने भी रखा गया था। हालांकि सभी परेशानियों को किनारे कर कांग्रेस ने टीएमसी को बैठक में आमंत्रित तो किया लेकिन टीएमसी के वरिष्ठ नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने रविवार को साफ कर दिया कि उनकी पार्टी मल्लिकार्जुन खड़गे की बुलाई विपक्षी दलों की बैठक में शामिल नहीं होगी। इतना ही नहीं मीडिया में चल रहीं ख़बरों की मानें तो टीएमसी के एक नेता ने कांग्रेस पर ही हमला बोलते हुए कहा कि  ‘हमें विंटर सेशन के दौरान कांग्रेस के साथ तालमेल बनाने में कोई दिलचस्पी नहीं है। कांग्रेस नेताओं को सबसे पहले अपनी पार्टी के भीतर ही तालमेल बनाना चाहिए। पहले उन्हें अपना घर दुरुस्त करना चाहिए और इसके बाद दूसरों के साथ समन्वय के बारे में सोचना चाहिए। उनके नेताओं में भगवा कैंप से टक्कर लेने का जज्बा नहीं है।’

TMC

ममता दिल्ली आयें और बिना सोनिया गांधी से मुलाक़ात के लौट जाएं?
एक तरफ ममता बनर्जी मोदी के खिलाफ एकजुटता की बात कर रही हैं तो दूसरी तरफ वे कांग्रेस को तोड़ने में लगी हुई हैं। ऐसा शायद इसलिए भी हो रहा है क्योंकि अगर ममता बनर्जी को पीएम मोदी से सीधे टक्कर लेनी हैं तो कांग्रेस को पहले रास्ते से हटाना पड़ेगा। अब इसी रास्ते पर ममता बनर्जी चलती हुई दिखाई दे रही हैं। ममता पीएम मोदी से टक्कर लेने के लिए विपक्ष को एकजुट करने की वकालत भी करती हैं और दूसरी तरफ वे सबसे बड़ी विपक्ष कांग्रेस को तोड़ती जा रही हैं। हाल ही में अपनी दिल्ली यात्रा के दौरान ममता बनर्जी ने दिल्ली में कांग्रेस के दो बड़े नेताओं को पार्टी में शामिल किया, मेघालय में कांग्रेस में बड़ी तोड़ कर दी। इतना ही नहीं, ऐसा बहुत कम होता है जब ममता दिल्ली आयें और सोनिया गांधी से मुलाक़ात ना करें। ऐसे में क्या टीएमसी अब बीजेपी या मोदी से टक्कर लेने से पहले कांग्रेस से टक्कर लेने की तैयार कर रही हैं? और संसद सत्र से पहले कांग्रेस द्वारा बुलाई गई बैठक में शामिल होने से इंकार कर क्या टीएमसी ने कांग्रेस के खिलाफ बिगुल बजा दिया है?

mamta Banarjee

दिल्ली यात्रा के दौरान जब ममता बनर्जी से पूछा गया कि वे सोनिया गांधी से मुलाक़ात क्यों नहीं कर रही हैं तो उनका जवाब था कि क्या हर बार सोनिया से मिलना जरूरी है, संविधान में तो ऐसा नहीं लिखा गया”। टीएमसी के तेवर इस वक्त यही इशारा कर रहे हैं कि कांग्रेस को पीछे छोड़ ममता बनर्जी को आगे बढ़ाने की कोशिश जारी है।