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फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी के इंतकाल पर तमाम लोगों ने दी भद्दी प्रतिक्रिया, रोहित सरदाना के निधन पर भी हुआ था ऐसा

Danish Siddiqui: ऐसा ही हाल सुधीर चौधरी और अमीष देवगन के साथ भी हुआ। दोनों कोरोना से पीड़ित होकर अस्पताल में भर्ती थे और सोशल मीडिया में ऐसे लोगों की भरमार थी, जो दोनों की मौत की कामना कर रहे थे।

नई दिल्ली। रोहित सरदाना और दानिश सिद्दीकी, दोनों पत्रकार थे। रोहित टीवी के मंझे हुए एंकर थे, तो दानिश रॉयटर्स की ओर से फोटो खींचने के मामले में मीडिया जगत का सबसे बड़ा सम्मान पुलित्जर पुरस्कार हासिल कर चुके थे। फिर भी दोनों के असमय निधन के मौके पर उनके काम से चिढ़ने वाले लोग श्रद्धांजलि देने की जगह आग उगलते और खुशी मनाते दिखाई दिए। ऐसे में सवाल ये है कि पत्रकारिता क्या गाली-गलौच हासिल होने का ही पेशा बन गया है ? दानिश सिद्दीकी का निधन अफगानिस्तान के कंधार में हुआ। वह अफगानिस्तान में तालिबान और सरकारी सेना के बीच जारी जंग की कवरेज के लिए गए थे। जिस हम्वी गाड़ी में वो बैठे थे, उस पर तीन रॉकेट प्रोपेल्ड ग्रेनेड यानी आरपीजी से हमला किया गया। इससे दानिश को गंभीर चोटें लगीं और उनका इंतकाल हो गया। दानिश का निधन पत्रकारिता के पेशे के एक जांबाज का चला जाना है, लेकिन उनसे चिढ़ने वाले लोगों ने इस मौके को भी हाथ से जाने नहीं दिया। बीते दिनों कोरोना महामारी के उफान के वक्त दानिश की खींची कई तस्वीरें इंटरनेशनल मीडिया में छपी थीं। इससे तमाम लोग उनसे नाराज हो गए थे। ऐसे ही लोगों ने दानिश को श्रद्धांजलि देने की जगह अपनी भड़ास सोशल मीडिया पर जमकर निकाली।

danish

ऐसा ही टीवी एंकर रोहित सरदाना के निधन के समय भी हुआ था। रोहित को राइट विंग का पत्रकार बताने वाले लोगों ने सोशल मीडिया पर उनके लिए अनाप-शनाप लिखा था। यहां तक कि राहुल गांधी के करीबी शरजील उस्मानी तक ऐसे लोगों में शामिल थे। हजारों लोगों ने कई दिन तक रोहित सरदाना के ट्विटर हैंडल और फेसबुक पेज पर इस तरह की भद्दी प्रतिक्रिया दी थी।

Rohit Sardana

ऐसा ही हाल सुधीर चौधरी और अमीष देवगन के साथ भी हुआ। दोनों कोरोना से पीड़ित होकर अस्पताल में भर्ती थे और सोशल मीडिया में ऐसे लोगों की भरमार थी, जो दोनों की मौत की कामना कर रहे थे। जरा सोचिए कि गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती दोनों पत्रकारों और उनके परिजनों पर क्या बीती होगी ? यही सवाल दानिश और रोहित के मामले में भी उठता है।

Amish Devgan And sudhir Chaudhary

ऐसे में सवाल यह है कि पत्रकार आखिर क्या करे कि उसे मौत के बाद भी गालियां न मिलें। फिलहाल तो ऐसा कोई रास्ता नहीं दिख रहा है। क्योंकि अब पत्रकारों को दो हिस्सों में बांटा जा चुका है। किसी को सरकार का पिछलग्गू बताया जा रहा है, तो किसी को विपक्ष का साथी होने का तमगा मिल चुका है। क्या कोई ये समझेगा कि पत्रकार तो महज अपना काम कर रहे हैं।

सोशल मीडिया पर आई कुछ ऐसी प्रतिक्रिया..