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Gyanvapi Mosque Case: ज्ञानवापी मस्जिद मामले में SC के फैसले से मुस्लिम या हिंदू में से किस पक्ष को राहत, जानिए यहां

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि इस मसले को अब वाराणसी के जिला जज सुनेंगे। जिला जज मुस्लिम पक्ष के आवेदन को प्राथमिकता से सुनेंगे। इस अर्जी में मुस्लिम पक्ष ने हिंदू पक्ष के वाद को सुनवाई के अयोग्य बताया है। अब सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में 21 जुलाई को सुनवाई होगी।

नई दिल्ली। वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद के मामले में सुप्रीम कोर्ट में कल हुई सुनवाई के बाद अब ये चर्चा हो रही है कि इससे मुस्लिम पक्ष को राहत मिली है या हिंदू पक्ष को। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने जो आदेश फिलहाल दिया है, उसकी बात पहले कर लेते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि इस मसले को अब वाराणसी के जिला जज सुनेंगे। जिला जज मुस्लिम पक्ष के आवेदन को प्राथमिकता से सुनेंगे। इस अर्जी में मुस्लिम पक्ष ने हिंदू पक्ष के वाद को सुनवाई के अयोग्य बताया है। 17 मई के आदेश को जिला जज की ओर से फैसला आने के 8 हफ्ते बाद तक लागू रखा गया है। ताकि फैसले से असंतुष्ट कोई भी पक्ष कानूनी राहत के विकल्प आजमा सकें। इसके अलावा मुस्लिमों के नमाज पढ़ने या मस्जिद में उनकी संख्या पर कोई रोक नहीं है। वजूखाना सुरक्षा में रहेगा और डीएम की तरफ से वजू की व्यवस्था की जाएगी।

sc order on gyanvapi

 

कोर्ट ने इस सुनवाई के दौरान एक बहुत अहम बात कही है। मुस्लिम पक्ष के वकील हुजैफा अहमदी की ओर से इस मामले में धर्मस्थल संबंधी 1991 के कानून को लागू करने का मुद्दा उठाया गया था। इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने साफ कहा कि इस कानून के तहत किसी स्थल के धार्मिक स्वरूप का पता लगाने पर कोई रोक नहीं है। इसे मुस्लिम पक्ष के लिए करारा झटका माना जा रहा है, क्योंकि वो धार्मिक स्थल कानून के तहत ही हिंदू पक्ष के वाद को निरस्त और अयोग्य करार देने की मांग कर रहा था।

gyanvapi mosque 1

अब जानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से मुस्लिम या हिंदू किस पक्ष को फायदा हुआ। इस आदेश से बैलेंस बनाकर रखने की बात जस्टिस चंद्रचूड़ ने की। उन्होंने कहा कि धर्मस्थल संबंधी कानून के तहत जमीन के धार्मिक स्वरूप का पता लगाने पर रोक नहीं है। इसे मुस्लिमों के लिए झटका माना जा रहा है। इस आदेश के तहत सर्वे को भी गलत नहीं बताया गया है और भविष्य में और सर्वे के दरवाजे खोल दिए गए हैं। इसके अलावा वजूखाने के इस्तेमाल पर भी रोक बरकरार रखी गई है। इससे भी मुस्लिम पक्ष को झटका लगा है। केस को जिला जज के पास भेजा गया है और उसमें मुस्लिम पक्ष की अर्जी को पहले निपटाने के लिए कहा गया है। इससे मुस्लिम पक्ष को फायदा है। हालांकि, हिंदू पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर खुशी जताई है।