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Muslims On UCC: ‘मुसलमान यूसीसी नहीं शरीयत ही मानेंगे, किसी मौलाना की भी नहीं सुनेंगे’, सपा सांसद एसटी हसन का बयान

एसटी हसन ने शरीयत का पक्ष लेते हुए कहा कि 1400 साल से ज्यादा वक्त से पैतृक संपत्ति में मुस्लिम बेटियों को उनका हक दिया जाता है। हसन की ये बात आधी सच है, क्योंकि मुस्लिम परिवारों में बेटियों को संपत्ति में हक तो है, लेकिन बराबर का नहीं है। उन्होंने ये भी कहा कि मजबूरी में ही कोई दूसरा निकाह करता है।

मुरादाबाद। एक तरफ विपक्षी दल आरोप लगाते हैं कि मोदी सरकार संविधान को नहीं मान रही है, लेकिन इन दलों के कुछ सांसद संविधान के खिलाफ खुद जाकर काम करते और बयान देते हैं। ताजा मामला समाजवादी पार्टी (सपा) के मुरादाबाद से सांसद एसटी हसन का है। एसटी हसन ने बयान दिया है कि मुसलमान कतई समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को नहीं मानेंगे। सपा सांसद एसटी हसन का ये भी कहना है कि मुसलमान शरीयत ही मानते रहे हैं और उसे ही मानेंगे। एसटी हसन ने आरोप लगाया कि यूसीसी लाया जाना बीजेपी का चुनावी हथकंडा है। उनका कहना है कि बीजेपी समाज में दूरियां बढ़ाने के लिए यूसीसी लाने जा रही है।

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एसटी हसन ने कहा कि आखिर यूसीसी लाने की जरूरत क्यों हुई। सपा सांसद ने कहा कि इसकी वजह अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव हैं और हिंदू-मुस्लिम के बीच दूरियां बढ़ाने के लिए बीजेपी ये काम कर रही है। एसटी हसन ने शरीयत का पक्ष लेते हुए कहा कि 1400 साल से ज्यादा वक्त से पैतृक संपत्ति में मुस्लिम बेटियों को उनका हक दिया जाता है। हसन की ये बात आधी सच है, क्योंकि मुस्लिम परिवारों में बेटियों को संपत्ति में हक तो है, लेकिन बराबर का नहीं है। सपा सांसद एसटी हसन ने कहा कि पाक कुरान के मुताबिक मुसलमान शरीयत को मानता है। कोई भी मुसलमान इस मामले में समझौता नहीं करेगा।

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एसटी हसन ने मुस्लिमों में ज्यादा शादी पर भी बयान दिया। उन्होंने कहा कि दूसरी शादी भी मजबूरी में की जाती है। किसी की पत्नी बीमार है या बच्चा नहीं हुआ, तो पहली बीवी से इजाजत लेकर दूसरा निकाह किया जाता है। उन्होंने कहा कि शरीयत में दखल के मामले में किसी मौलाना की भी नहीं चलने वाली है। बता दें कि इससे पहले ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने भी साफ कहा है कि वो यूसीसी का विरोध करेगा। पर्सनल लॉ बोर्ड ने यूसीसी को मुस्लिमों के धार्मिक अधिकार पर हमला बताया है।