नागपुर। अडानी मामले में जेपीसी बनाने की मांग और वीर सावरकर के बारे में राहुल गांधी के बयान के बाद अब कांग्रेस के सहयोगी दलों में ही इन दोनों मामलों में फूट पड़ती दिख रही है। पहले उद्धव ठाकरे ने सावरकर के मुद्दे पर राहुल गांधी के बयानों से खुलेआम नाराजगी जताई। अब एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने सावरकर और अडानी मुद्दे पर जेपीसी की मांग के खिलाफ बयान दिया है। शरद पवार ने शनिवार को नागपुर प्रेस क्लब में कहा कि वीर सावरकर कोई राष्ट्रीय मुद्दा नहीं हैं। सावरकर का दूसरा पहलू भी है। शरद पवार ने साफ कहा कि सावरकर ने देश की आजादी के लिए जो बलिदान दिया, उसकी उपेक्षा नहीं की जा सकती। पवार ने कहा कि सावरकर के प्रगतिशील विचारों को भी देखना चाहिए। उन्होंने रत्नागिरि में घर बनवाया, सामने मंदिर भी बनवाया। उस मंदिर में उन्होंने वाल्मीकि समुदाय के व्यक्ति को बतौर पुजारी रखा।
Maharashtra | Savarkar has said many progressive things. As I said earlier also that we should see the progressive side of Savarkar. Today he is not here. So there is no need to discuss any topic about those who are not here. Savarkar is not a national issue: NCP chief Sharad… pic.twitter.com/1oE6Vemo15
— ANI (@ANI) April 1, 2023
शरद पवार ने इसके बाद अडानी मामले में जेपीसी गठित करने की कांग्रेस की मांग पर पूछे गए सवाल का जवाब दिया। उन्होंने कहा कि इस मामले में जेपीसी की जगह सुप्रीम कोर्ट ने जो समिति बनाई है, वो ज्यादा प्रभावी रहेगी। शरद पवार ने कहा कि संसद में सत्ताधारी पार्टी के ज्यादा सांसद हैं। ऐसे में जेपीसी बनी भी, तो उसमें भी सत्ताधारी सांसद ही ज्यादा संख्या में होंगे। ऐसे में ये ज्यादा प्रभावी नहीं रहेगी। बल्कि, सुप्रीम कोर्ट ने जो 6 सदस्यों की कमेटी बनाई है, वो ज्यादा प्रभावी है।
शरद पवार पहले ऐसे विपक्षी नेता हैं, जो कांग्रेस के साथ होते हुए भी जेपीसी के खिलाफ दिख रहे हैं। साथ ही उद्धव ठाकरे के बाद वो कांग्रेस का साथ देने वाले ऐसे दूसरे नेता हैं, जिसने सावरकर के मुद्दे पर राहुल गांधी के बयानों से किनारा कर लिया है। ऐसे में शरद पवार की तरह अगर दूसरे कुछ और दल भी इन दोनों मुद्दों पर कांग्रेस के स्टैंड से दूरी बनाते हैं, तो इससे दोनों मुद्दों को आगे लेकर चलने में कांग्रेस को बड़ी दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है।