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NCPCR: झारखंड बिहार के स्कूलों में Friday ऑफ पर एनसीपीसीआर ने मांगी रिपोर्ट; जानिए, संडे-छुट्टी की कब हुई शुरुआत?

NCPCR: राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने भी बिहार सरकार से इस मामले में मांगा है। इसके लिए NCPCR ने बिहार के मुख्य सचिव आमिर सुभानी को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने पूछा कि किसके निर्देश पर रविवार की जगह शुक्रवार को साप्ताहिक अवकाश घोषित करने का निर्णय लिया गया है।

नई दिल्ली। देश के सभी स्कूलों में जहां संडे को छुट्टी होती है। वहीं, झारखंड के स्कूलों में शुक्रवार के दिन वीकली ऑफ दिया जा रहा है। इस बात को लेकर राज्य में एक नया विवाद खड़ा हो गया है। इससे पहले झारखंड के जामताड़ा से ऐसी ही खबरें सामने आई थीं। अब दुमका जिले में भी 33 स्कूलों को शुक्रवार के दिन बिना कोई जानकारी दिए बंद किया जा रहा है। बिहार के किशनगंज के 37 स्कूलों में भी रविवार की जगह शुक्रवार को अवकाश दिया जा रहा है। मामले की जानकारी मिलते ही राज्य सरकार हरकत में आई और जांच के आदेश दिए। बिहार शिक्षा विभाग मंत्री विजय कुमार चौधरी ने जांच के आदेश देते हुए जिला शिक्षा पदाधिकारियों से रिपोर्ट मांग की है। गौरतलब है, कि इन सभी स्कूलों में उर्दू स्कूल शामिल हैं। ये उन स्थानों पर हो रहा है, जहां मुस्लिम समुदाय के लोगों की संख्या अधिक है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, शुक्रवार के दिन स्कूलों के छात्र नमाज पढ़ने के लिए जाते हैं, जिसकी वजह से इस दिन स्कूल बंद कर दिए जाते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि ये परंपरा सालों से चली आ रही है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने भी बिहार सरकार से इस मामले में जवाब मांगा है। इसके लिए NCPCR ने बिहार के मुख्य सचिव आमिर सुभानी को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने पूछा कि किसके निर्देश पर रविवार की जगह शुक्रवार को साप्ताहिक अवकाश घोषित करने का निर्णय लिया गया है। आयोग ने इस मामले में बिहार सरकार से 10 दिनों के अंदर रिपोर्ट देने के लिए कहा है।

कैसे शुरू हुई रविवार को अवकाश की परंपरा?
स्वतंत्रता प्राप्ति से पहले  जब भारत पर ब्रिटिश हुकूमत थी, उस दौर में मिल मजदूरों को सात दिनों तक लगातार काम करना पड़ता था। वहीं, ब्रिटिश अधिकारी हर रविवार को चर्च जाते थे। लेकिन मिल मजदूरों के पास कोई छुट्टी लेने का अधिकार नहीं था। तब मजदूरों के नेता नारायण मेघाजी लोखंडे, जिन्हें भारत में ‘ट्रेड यूनियन आंदोलन’ का जनक भी कहा जाता है, ने अंग्रेजों के सामने साप्ताहिक अवकाश का प्रस्ताव रखा, जिसे ब्रिटिश अधिकारियों ने ठुकरा दिया।

मेघाजी लोखंडे का कहना था कि ‘सप्ताह में एक दिन अपने देश और समाज की सेवा का अवसर मिलना चाहिए, साथ ही रविवार का दिन हिंदू देवता “खंडोबा” का दिन भी है, इसलिए रविवार को साप्ताहिक अवकाश घोषित करना चाहिए।’ प्रस्ताव खारिज होने के बाद भी लगातार 7 सालों तक चले संघर्ष के बाद 10 जून 1890 को ब्रिटिश सरकार ने रविवार को साप्ताहिक घोषित कर दिया, जो आज तक जारी है।