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BJP Foundation Day: देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस को चारों खाने चित्त कर, कैसे बना ‘BJP’ देश का सबसे बड़ा दल?

BJP Foundation Day: 26 जनवरी 1992 को श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा फहराने के मकसद से दिसंबर 1991 में तिरंगा यात्रा निकाली गई। साल 1993 में आडवाणी एक बार फिर पार्टी के अध्यक्ष पर आसीन हुए।

नई दिल्ली। 42 साल पहले आज के ही दिन यानी 6 अप्रैल को वर्तमान की देश की सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी (भारतीय जनता पार्टी) की स्थापना अटल बिहारी वाजपेयी तथा लाल कृष्ण आडवाणी द्वारा हुई थी। अटल बिहारी वाजपेयी पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष थे। पार्टी की स्थापना के बाद बीजेपी ने अपने पहले लोकसभा चुनाव में महज दो सीटों पर जीत दर्ज की थी, जिस पर पार्टी का खूब मजाक बना था। इसके बाद आधे से ज्यादा प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई थी। इस चुनावी मैदान में देशभर में कुल 224 प्रत्याशी उतरे थे। लेकिन बीजेपी को केवल दो सीटें ही मिल सकीं। इसके बाद भी बीजेपी ने हार नहीं मानी और 1989 का चुनाव मजबूती से लड़ा। इस चुनाव में पार्टी ने कुल 225 प्रत्याशी उतारे थे, जिसमें से 85 सीटों पर जीत दर्ज हुई। इस जीत से पार्टी को विस्तार मिला। इसे विस्तार देने में ‘राम मंदिर आंदोलन’ ने काफी मदद की। जनता का पार्टी पर विश्वास बढ़ा। 1991 में केंद्र में अस्थिरता के चलते फिर से लोकसभा चुनाव हुए। जिसमें भारतीय जनता पार्टी ने पहले के मुकाबले दोगुने यानी 468 प्रत्याशी मैदान में उतार दिए। इस चुनाव में बीजेपी ने 120 सीटों पर जीत दर्ज की। इस जीत के बाद बीजेपी को समझ आ गया कि राम नाम से राष्ट्रवाद के रास्ते चल कर ही सत्ता पर काबिज हुआ जा सकता है। इसी दौर में मुरली मनोहर जोशी बीजेपी के अध्यक्ष बन गए। 26 जनवरी 1992 को श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा फहराने के मकसद से दिसंबर 1991 में तिरंगा यात्रा निकाली गई। साल 1993 में आडवाणी एक बार फिर पार्टी के अध्यक्ष पर आसीन हुए। 1995 में उदार छवि वाले बाजपेयी जी से बगैर पूछे ही उन्हें प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया।

आडवाणी के इस ऐलान से बाजपेयी समेत सभी हैरान रह गए। 1996 के लोकसभा चुनाव के बाद भारतीय जनता पार्टी एक बड़े राजनीतिक दल के रूप में उभर कर सामने आई और अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार भी बन गई। हालांकि, ये सरकार महज 13 दिनों तक ही चल सकी। बीजेपी की सरकार गिर गई। इसके बाद कांग्रेस गठबंधन से सत्ता में आई, लेकिन वो भी ज्यादा दिन तक नहीं टिक सकी। जिसके चलते 1998 में फिर से चुनाव कराने पड़े। अब तक बीजेपी को समझ आ चुका था कि सरकार बनाने के लिए क्षेत्रिय दलों का साथ लेना जरूरी है। इसके बाद भाजपा ने कई क्षेत्रिय दलों के साथ गठबंधन किया और चुनाव लड़ा। इस रणनीति के परिणामस्वरूप उसे 182 सीटों पर जीत हासिल हुई। सरकार भी बनी लेकिन 13 महीने में ही विश्वास मत से हार गई। देश में फिर से चुनाव हुए इस बार बीजेपी ने अपने वोट शेयर को 23 प्रतिशत से ज्यादा कर लिया। इस बार बीजेपी सत्ता में आई और 2004 तक का अपना कार्यकाल पूरा किया। साल 2004 में इंडिया शाइनिंग असफल साबित हुआ, जिससे एक बार फिर से पार्टी की कमान लालकृष्ण आडवाणी के हाथों में आ गई। 2009 के चुनाव में आडवाणी के नेतृत्व पार्टी को हार का सामना करना पड़ा।

इसके बाद राजनाथ सिंह से लेकर नितिन गडकरी तक को पार्टी अध्यक्ष की कमान मिली, लेकिन नरेंद्र मोदी के आने के बाद बीजेपी को पूर्ण बहुमत प्राप्त हुआ। गुजरात की चौखट से निकले मोदी ने 2014 के चुनावी मैदान में उतरते ही ऐसा दबदबा बनाया कि उसके आगे सब अपने आप छोटे हो गए। मोदी को पार्टी ने सेंट्रल इलेक्शन कैंपेन कमिटी का चेयरमैन चुना। वो अकेले ऐसे सत्तारूढ़ मुख्यमंत्री थे, जिन्हें संसदीय बोर्ड में शामिल किया गया था। इस दौरान नरेंद्र मोदी ने खूब यात्राएं और सभाए कीं। इस चुनाव में बीजेपी की जीत के सूत्रधार अमित शाह को इस बार पार्टी की कमान सौंपी गई। 17वीं लोकसभा में नरेंद्र मोदी ने खुद को प्रधानमंत्री पद पर स्थापित किया। किसी समय में मात्र दो सीटों पर जीत दर्ज करने वाली पार्टी लगातार दो बार पूर्ण बहुमत से सरकार बना चुकी है और आज पार्टी जेपी नड्डा के नेतृत्व में दूसरी सभी पार्टियों को पछाड़ते हुए लगातार आगे बढ़ रही है।