newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

Ajit Pawar: चाचा से अलग भतीजे की राय, शरद के विरोध के बावजूद नए संसद भवन की जरूरत पर क्या बोले अजित पवार ?

Ajit Pawar: अजित पवार ने नए संसद भवन के महत्व पर बात करते हुए कहा कि देश के भीतर लगातार जनसंख्या में वृद्धि हो रही है। ऐसे समय में जब कुछ ही समय बाद लोकसभा और राज्यसभा की सीटें बढ़ जाएंगी तो हमारे पास एक बड़ी जगह भी होनी चाहिए। इसलिए नए संसद भवन की जरूरत थी। अजित पवार ने इमारत के निर्माण की भी तारीफ की और कहा, इस आलीशान इमारत को रेकॉर्ड टाइम में बनाकर तैयार कर दिया गया।

नई दिल्ली। देश के भीतर प्रधानमंत्री मोदी ने नई संसद भवन का जब उद्घाटन किया तो इसका 19 विपक्षी दलों ने प्रमुख रूप से विरोध किया। इसमें शरद पवार की एनसीपी भी शामिल थी। लेकिन अब अपने चाचा के विरोध के स्वर के विपरीत एनसीपी नेता अजित पवार ने इस कार्यक्रम की तारीफ की है और कहा है कि सभी सांसदों को साथ में मिलकर देश के लोगों के लिए काम करना चाहिए और उनकी समस्याओं का निराकरण करना चाहिए। बता दें कि इससे पहले रविवार को एकसर्वधर्म प्रार्थना के साथ ही पीएम मोदी ने देश को लोकतंत्र की एक नई इमारत को सौंप दिया था। इसके साथ ही उन्होंने सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के रूप में दक्षिण भारत की परंपरा का हिस्सा रहे राजदंड सेंगोल को भी नए संसद भवन में स्थापित किया है।

जानकारी के लिए आपको बता दें कि देश के नए संसद भवन की लोकसभा में 888 सदस्यों के लिए सीट हैं जबकि पुराने भवन में 543 सीटें ही थीं। पवार ने कहा, हम अगर नए संसद भवन को किसी भी राजनीतिक ऐंगल से नहीं देखते हैं तो यही समझ में आता है कि अंग्रेजों ने इस इमारत का निर्माण करवाया था। बहुत सारे राज्यों ने आजादी के बाद अपना विधान भवन बनवाया। महाराष्ट्र मे भी 1980 में जाकर विधान भवन बना। हम भी अब इस मुद्दे को लेकर चर्चा कर रहे हैं कि क्या महाराष्ट्र के लिए भी एक नया विधासभा भवन होना चाहिए ?

अजित पवार ने नए संसद भवन के महत्व पर बात करते हुए कहा कि देश के भीतर लगातार जनसंख्या में वृद्धि हो रही है। ऐसे समय में जब कुछ ही समय बाद लोकसभा और राज्यसभा की सीटें बढ़ जाएंगी तो हमारे पास एक बड़ी जगह भी होनी चाहिए। इसलिए नए संसद भवन की जरूरत थी। अजित पवार ने इमारत के निर्माण की भी तारीफ की और कहा, इस आलीशान इमारत को रेकॉर्ड टाइम में बनाकर तैयार कर दिया गया। कोरोना काल में भी इसमें काम चलता रहा और आज हमारे पास एक बड़ा और अच्छा संसद भवन है। अब कमाल की बात ये है कि एक ही पार्टी और एक ही परिवार के भीतर मोदी सरकार को लेकर दो अलग अलग मत नजर आ रहे हैं। इसके क्या सियासी मायने हैं, क्या अजित पवार चाचा शरद पवार से हटकर अलग ही पॉलिटिक्स कर रहे हैं ?