नई दिल्ली। आप कौन होते हैं, ये तय करने वाले कि पत्रकारिता केवल हिंदू ही करेगा या मुस्लिम ही या सिख या इसाई ही? आप कौन होते हैं, ये तय करने वाले कि पत्रकारिता महिला ही करेगी या पुरुष? आखिर आपको यह तय करने का अधिकार किसने दिया है? क्या भारत के संविधान ने दिया या सरकार ने या फिर संसद के दोनों सदनों में ऐसा कोई विधेयक पारित हुआ है, जिसमें यह प्रावधान किया गया हो कि अब भारत में केवल मुस्लिम, हिंदू, पुरुष या महिला ही करेगी पत्रकारिता? नहीं ना। ऐसा तो कोई विधेयक ना ही संसद में पारित हुआ है और ना ही सरकार की ओर से ऐसा कोई फरमान जारी किया गया है, तो फिर भला आप किस खुशी में पत्रकारिता में केवल मुस्लिमों, महिलाओं और दलितों को ही प्राथमिकता देने पर आमादा हो रहे हैं।
मतलब अब आप प्रतिभा को किनारा कर जाति, धर्म, लिंग और मजहब के आधार पर पत्रकारिता का ठेका देने जा रहे हैं। इसका सीधा अर्थ हुआ कि अब आपके लिए ज्ञान कोई मायने नहीं रखता है? काबिलियत कोई मायने नहीं रखती? अनुभव कोई मायने नहीं रखता? अब तो आपके लिए मजहब मायने रखता है? अब तो आपके लिए ये मायने रखता है कि हमारा पत्रकार हिंदू ही होना चाहिए या मुस्लिम ही या महिलाएं ही होनी चाहिए या फिर पुरुष ही। अब आप इतना सबकुछ पढ़ने के बाद मन ही मन सोच रहे होंगे कि आखिर माजरा क्या है कि आप इस तरह की रोषात्मक भूमिकाओं के जाल बुनाए जा रहे हैं? जरा कुछ खुलकर बताएंगे। तो चलिए अब आपको बताते हैं।
हमारी पत्रकारिता का हिस्सा बनना चाहते हैं?
हमें ज़रूरत है एक डेस्क और एक फील्ड रिपोर्टर की न्यूज़क्लिक हिंदी दिल्ली में
सारी ज़रूरी जानकारी पोस्टर में लिखी गयी है
हमें मेल कर अपना CV भेजें#Vacancy #independentmedia pic.twitter.com/TK1JJY83BB
— NewsClick (@newsclickin) December 6, 2022
दरअसल, न्यूज क्लिक ने पत्रकारों को नौकरी देने का फैसला किया है। चलिए फैसला किया है, तो अच्छी बात है। इसी बहाने अब बेचारे कुछ बेरोजगार पत्रकारों को नौकरी मिलेगी। लेकिन न्यूज क्लिक ने नौकरी देने के लिए कुछ ऐसी पात्रता निर्धारित की है, जिसे जानकर आप तनिक रोषयुक्त हो जाएंगे। दरअसल, न्यूज क्लिक ने नौकरी में दलित, मुस्लिम, आदिवासी और महिला को प्राथमिकता देने का फैसला किया है। जिसे लेकर अब सोशल मीडिया पर लोग आक्रोशित हो रहे हैं। कई लोग समानता का हवाला दे रहे हैं।
मुस्लिम sorry bro तुम से ना हो पायेगा
रविश कुमार नाम सुना ही होगा— संजय (@SANJAYT53173694) December 6, 2022
प्रोपेगैंडा चलाने के लिए दलित, आदिवासी और मुसलमानों का इस्तेमाल किया जा रहा है। यह दिखाता है न्यूज क्लिक की ओछी मानसिकता को। नौकरी देने के लिए धर्म और जाति के आधार पर विभाजन कर रहे हैं और सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाते हैं। वाह!!
— The Krantikari (@thekrantikarii) December 6, 2022
कह रहे हैं कि आप कैसे किसी के पत्रकरिय ज्ञान को उसके जाति, धर्म और लिंग के आधार पर आंक सकते हैं। जिसे लेकर न्यूज क्लिक विवादों में आ चुका है। इतना ही नहीं, न्यूज क्लिक ने नौकरी के लिए आवेदन करते समय यहां तक कहा है कि हम अच्छी पत्रकारिता करने जा रहे हैं। बहरहाल, अब न्यूज क्लिक इन विवादों की उपज के बाद क्या कुछ कदम उठाता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।