
कोच्चि। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) की बड़ी साजिश का खुलासा किया है। एनआईए ने कोच्चि की अदालत को बताया है कि पीएफआई ने केरल के एक पूर्व जिला जज समेत राज्य के 972 लोगों का नाम अपनी हिट लिस्ट में रखा था। एनआईए के मुताबिक इस हिट लिस्ट की जानकारी पीएफआई के गिरफ्तार लोगों से हुई है। एनआईए कोर्ट में पलक्कड के निवासी मोहम्मद बिलाल, रियासुद्दीन, अंसार केपी और साहिर केवी ने जमानत की अर्जी दी है। उसी सुनवाई के दौरान एनआईए ने पीएफआई की गहरी साजिश की जानकारी कोर्ट को दी। एनआईए ने केंद्र सरकार के निर्देश पर मई 2022 में पीएफआई के खिलाफ देशविरोधी गतिविधियां करने का केस दर्ज किया था। वहीं, दिसंबर 2022 में एनआईए ने केरल के पलक्कड के आरएसएस नेता श्रीनिवासन की हत्या की जांच का काम संभाला था।
श्रीनिवासन की हत्या के मामले को बाद में पीएफआई की देशविरोधी गतिविधियों के केस से जोड़ा गया। एनआईए के मुताबिक पीएफआई की रिपोर्टर विंग ने संगठन के लिए खतरा बन रहे अन्य समुदायों के नेताओं की रेकी की। पीएफआई के सर्विस विंग यानी हिट टीम बाद में ऐसे विरोधियों को मारने का काम करती रही। एनआईए ने कोर्ट में बताया है कि पीएफआई की हथियार ट्रेनिंग विंग भी होती थी। जो संगठन के सदस्यों को हथियार चलाने की ट्रेनिंग देती थी। पीएफआई के चारों सदस्यों की जमानत का विरोध करते हुए एनआईए ने कोर्ट को बताया कि 51वें आरोपी सिराजुद्दीन से 8 दस्तावेज मिले। इसमें अन्य समुदायों के 240 लोगों के नाम की लिस्ट भी है। अलुवा के पेरियार वैली कैंपस में छापे के दौरान एनआईए ने 15वें नंबर के आरोपी अब्दुल वहद के पर्स से 5 ऐसे लोगों के नाम वाली लिस्ट बरामद की, जिनको पीएफआई ने निशाने पर रखा। इनमें एक पूर्व जिला जज का भी नाम था। एनआईए ने कोर्ट को बताया कि सरकारी गवाह बने एक आरोपी के पास से दस्तावेज मिले। इनमें 232 लोगों के नाम वाली हिट लिस्ट थी। इसी तरह 69 नंबर के आरोपी अयूब टीए के घर छापे में 500 लोगों के नाम वाली हिट लिस्ट मिली।
एनआईए का कहना है कि अलुवा के पेरियार वैली कैंपस में पीएफआई की तरफ से हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी जाती थी। जो यूएपीए कानून के तहत आतंकवादी गतिविधि मानी जाती है। एनआईए ने कोर्ट को ये भी बताया कि पीएफआई के बारे में जांच एजेंसी की दिल्ली यूनिट ने भी छानबीन की थी। ये छानबीन बिहार के फुलवारी शरीफ थाने में साल 2022 में दर्ज केस के सिलसिले में हुई थी। इस जांच में एजेंसी ने आरोपी मोहम्मद जमालुल्दीन के पास से 6 पेज का दस्तावेज बरामद किया था। इस दस्तावेज का शीर्षक ‘इंडिया 2047 था’। एनआईए का कहना है कि पीएफआई का एजेंडा 2047 तक भारत में इस्लामी शासन की स्थापना करना है। इसी उद्देश्य से आरएसएस नेता श्रीनिवासन की हत्या हुई। एनआईए ने ये दावा भी किया है कि इंडिया 2047 की योजना को पीएफआई ने ऑडियो क्लिप्स के जरिए भी सदस्यों को भेजा था। वहीं, आरोपियों ने खुद पर लगे आरोपों को झूठा बताया और कहा कि वे बेगुनाह हैं और तीन साल से ज्यादा वक्त से जेल में हैं। आरोपियों की दलील है कि जांच खत्म हो चुकी है और ट्रायल में देर लगेगी। इस वजह से जमानत दी जाए।