नई दिल्ली। कर्नाटक के बेंगलुरु की जेल में कैदियों को कट्टरपंथ की तरफ ले जाने के मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआईए ने 7 राज्यों में 17 जगह छापे मारे हैं। एनआईए के ये छापे बेंगलुरु और तमिलनाडु के अलावा अन्य राज्यों में भी चल रहे हैं। संदिग्धों की धरपकड़ के लिए एनआईए ने ये छापेमारी की है। एनआईए ने बीती 12 जनवरी को बेंगलुरु जेल कट्टरपंथ मामले में लश्कर-ए-तैयबा और फिदायीन हमले की साजिश के मामले में आरोप पत्र दाखिल किया था। इस मामले में कुल आरोपियों की संख्या 8 है। इनमें से 2 जुनैद अहमद उर्फ जेडी और सलमान खान फरार हैं। दोनों के विदेश में होने की बात कही जा रही है। आरोपियों में केरल के कन्नूर का टी. नसीर भी है। वो उम्रकैद की सजा काट रहा है।
जेल में कैदियों के बीच कट्टरपंथ को फैलाने के आरोपियों की पहचान सैयद सुहेल खान उर्फ सुहेल, मोहम्मद उमर, जाहिद तबरेज, सैयद मुदस्सिर पाशा और मोहम्मद फैसल रब्बानी उर्फ सदाथ के तौर पर हो चुकी है। इन सभी पर आईपीसी, यूएपीए, विस्फोटक पदार्थ और शस्त्र एक्ट के तहत एनआईए ने आरोप पत्र दाखिल किया है। ये मामला तब सामने आया था, जब 18 जुलाई 2023 को बेंगलुरु पुलिस ने 7 आरोपियों से हथियार, बारूद, हैंड ग्रेनेड और वॉकी टॉकी जब्त किए थे। ये सभी एक घर में इकट्ठा हुए थे। जिसकी जानकारी मिलने पर पुलिस ने वहां छापा मारा था। इनकी गिरफ्तारी के बाद एनआईए ने अक्टूबर 2023 में केस अपने हाथ में लिया।
एनआईए को जांच में पता चला कि टी. नसीर साल 2017 में बाकी आरोपियों के संपर्क में आया था। कट्टरपंथ की तरफ ले जाने और लश्कर-ए-तैयबा में भर्ती कराने के लिए नसीर ने इन सबकी क्षमता का मूल्यांकन किया और फिर सभी को अपने बैरक में जगह दिलाने में भी कामयाब हो गया। टी. नसीर ने सबसे पहले जुनैद और सलमान को कट्टरपंथी बनाया। जिसके बाद उसने इन दोनों की मदद से बाकी को भी कट्टरपंथी बनाने और लश्कर में भर्ती कराने की साजिश रची थी।