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Delhi: विपक्षी एकता को धार देने में जुटे नीतीश कुमार, अब केजरीवाल से की मुलाकात, केंद्र के अध्यादेश पर कही ये बात

Delhi: बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल सरकार को दिल्ली का असली बॉस बताया था और  राज्यपाल की शक्तियों को सीमित करते हुए स्पष्ट करते हुए कहा था कि केंद्र के पास महज जमीन, कानून व्यवस्था और पुलिस से संबंधित विधायी फैसले लेने का अधिकार ही केंद्र के पास है।

नई दिल्ली। आगामी लोकसभा चुनाव से पूर्व हिंदुस्तान की राजनीति में मुलाकातों का सिलसिला शुरू हो चुका है। जिसकी शंखनाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नें की है। सबसे पहले उन्होंने ही मुलाकातों की बयार बहाई। यह बयार पश्चिम बंगाल से शुरू होकर अब दिल्ली तक पहुंच चुकी है। इसी क्रम में आज नीतीश कुमार की दिल्ली के मुख्यमंत्री व आप संयोजक अरविंद केजरीवाल से मुलाकात हुई। इससे पूर्व उनकी मुलाकात कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया से हुई थी, जहां वो शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए थे। इस समारोह से पूर्व विपक्षी एकता को प्रदर्शित करने की कोशिश की गई थी। इसके बाद नीतीश कुमार ने दिल्ली का रूख किया, जहां उनकी मुलाकात सीएम केजरीवाल से हुई। ध्यान रहे कि इस शपथ ग्रहण समारोह में केजरीवाल को आमंत्रित नहीं किया गया था। आइए, आगे आपको बताते हैं कि केजरीवाल और नीतीश कुमार के बीच मुलाकात के दौरान किन मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई।

दरअसल, दिल्ली सीएम केजरीवाल और बिहार के सीएम नीतीश कुमार के बीच केंद्र द्वारा राज्यपाल की शक्तियों को बढ़ाने के ध्येय से लाए गए अध्यादेश पर विस्तार से चर्चा हुई। नीतीश ने केंद्र सरकार के उक्त कदम की आलोचना की और इसे  केंद्र द्वारा उठाया गया असंवैधानिक कदम  बताया। वहीं, सीएम केजरीवाल ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि नीतीश कुमार केंद्र द्वारा लाए गए अध्यादेश को लेकर हमारे पक्ष में खड़े हैं। अगर हम सभी विपक्षी दल इस अध्यादेश को राज्यसभा में पारित ना होने दे, तो यकीनन इससे यह संदेश जाएगा कि आगामी लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी के विजयी रथ को रोका जा सकता है।

बता दें कि नीतीश कुमार की सीएम केजरीवाल से यह दूसरी मुलाकात थी।  केजरीवाल ने आगे कहा कि केंद्र द्वारा लाए गए अध्यादेश के मामले में नीतीश कुमार दिल्ली की जनता के साथ खड़े हैं। उन्होंने कहा कि अगर राज्यसभा में सभी विपक्षी एकजुट होकर इस अध्यादेश को विधेयक बनने से रोक दें, तो पीएम मोदी को आगामी लोकसभा चुनाव में हराया जा सकता है। उधर, नीतीश कुमार ने भी केजरीवाल के सुर में  सुर मिलाते हुए कहा कि एक चुनी हुई सरकार की शक्तियां कैसे छीनी जा सकती हैं?

यह संविधान के विरुद्ध है। बता दें कि बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल सरकार को दिल्ली का असली बॉस बताया था और  राज्यपाल की शक्तियों को सीमित करते हुए स्पष्ट कर दिया था कि केंद्र के पास महज जमीन, कानून व्यवस्था और पुलिस से संबंधित विधायी फैसले लेने का अधिकार ही है। इसके अलावा दिल्ली से संबंधित सभी फैसले  केजरीवाल सरकार द्वारा लिए जाएंगे। कोर्ट के इस फैसले को केजरीवाल सरकार की बड़ी जीत के रूप में देखा गया था, लेकिन इस  फैसले के हफ्तेभर बाद ही केंद्र सरकार ने अध्यादेश लाकर  उपराज्यपाल की शक्तियों को बढ़ाने का काम किया है. जिसके विरोध  में अब  केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया है। अब ऐसे में आगामी दिनों में यह पूरा माजरा क्या रुख अख्तियार करता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।