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Chhattisgarh Election 2023: अब छत्तीसगढ़ चुनाव में चाचा-भतीजे के बीच दिखेगी सियासी टक्कर, BJP ने भूपेश बघेल के खिलाफ विजय को दिया टिकट

जी हां…आपको बता दें कि इस सीट से बीजेपी ने विजय बघेल को चुनावी मैदान में उतारा है, तो वहीं अब कांग्रेस इस सीट से किसे चुनावी मैदान में उतारती है? इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी, लेकिन उससे पहले आपको बता दें कि यह सीट शुरू से ही भूपेश बघेल का गढ़ रहा है।

नई दिल्ली। कांग्रेस ने केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक के बाद आज चुनावी राज्य मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी है। मध्य प्रदेश के 39 और छत्तीसगढ़ के 21 उम्मीदवारों के प्रत्याशी की सूची जारी की गई है। प्रत्याशियों की इस सूची में जहां कुछ नए चेहरों को मौका दिया गया है, तो वहीं कुछ पुराने चेहरों का टिकट भी काट दिया गया है। ढाई माह बाद दोनों ही सूबों में चुनावी डंका बजने जा रहा है, लेकिन इस बीच मध्य प्रदेश के दुर्ग जिले की पाटन सीट जिसको लेकर सियासी गलियारों में चर्चा का बाजार गुलजार हो चुका है और इसकी वजह है मख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके भतीजे विजय बघेल।

जी हां…आपको बता दें कि इस सीट से बीजेपी ने विजय बघेल को चुनावी मैदान में उतारा है, तो वहीं अब कांग्रेस इस सीट से किसे चुनावी मैदान में उतारती है? इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी, लेकिन उससे पहले आपको बता दें कि यह सीट शुरू से ही भूपेश बघेल का गढ़ रहा है। अब अगर बीजेपी इस सीट से भूपेश बघेल को चुनावी मैदान में उतारती है, तो यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि इस सीट से चाचा भतीजे की लड़ाई देखने को मिलेगी। ध्यान दें कि दुर्ग जिले की पाटन सीट शुरू से ही राजनीति का केंद्र बिंदू रही है।

बता दें कि इस सीट को प्रदेश की राजनीति का केंद्र बिंदू भी बताया जाता है। अतीत के आइने से देखें तो यह सीट स्वतंत्रता सेनानियों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है। ध्यान दें कि इस सीट से बीजेपी ने भूपेश बघेल के आगे मोती लाल साहू को चुनावी मैदान में उतारा था। भूपेश ने तब 27 हजार से भी अधिक सीटों से जीत दर्ज की थी। यह चौथी बार है, जब बीजेपी ने विजय बघेल को भूपेश बघेल के खिलाफ चुनावी मैदान में उतारा है। ध्यान दें कि सबसे पहले 2003 में विजय बघेल एनसीपी की टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे थे, लेकिन उस वक्त उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था। वहीं, 2008 में को भी विजय बघेल को भूपेश बघेल ने चुनावी मैदान में पटखनी दी थी। उधर, 2013 में भी विजय बघेल का पराजय ही मिली थी। उधर, 2018 में भी उन्हें अपने चाचा भूपेश बघेल के आगे मुंह की खानी पड़ी थी। बहरहाल, अब आगामी विधानसभा चुनाव में कौन किस पर भारी पड़ता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।