मुंबई। अपने 38 विधायकों की बगावत के बाद शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे को महाराष्ट्र की सरकार तो गंवानी ही पड़ी। अब राष्ट्रपति चुनाव के मसले पर भी उनको पार्टी सांसदों का झटका लगने के आसार दिख रहे हैं। सिर्फ उद्धव ही नहीं, उनके खास और राज्यसभा सांसद संजय राउत को भी इन सांसदों ने सोमवार को हुई बैठक में ठेंगा दिखाते हुए एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के समर्थन की मांग रख दी। संजय राउत को झटका ऐसे लगा कि वो विपक्षी उम्मीदवार यशवंत सिन्हा का पक्ष ले रहे थे, लेकिन शिवसेना के सांसद मुर्मू के पक्ष में खड़े होकर हर बार उनकी बात काट रहे थे।
सूत्रों ने बैठक में हुई चर्चा की जानकारी देते हुए बताया कि शिवसेना के 19 में सिर्फ 11 सांसद बैठक में आए। बैठक में चर्चा का विषय राष्ट्रपति चुनाव और पार्टी की मौजूदा हालत थी। सांसदों ने उद्धव के सामने इस बारे में अपनी राय खुलकर रखी। राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को समर्थन देने की बात आई। सूत्रों के मुताबिक ये मुद्दा संजय राउत ने ही छेड़ा। इस पर बैठक में मौजूद ज्यादातर शिवसेना सांसदों ने एक सुर से उनकी बात काट दी और एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का पक्ष लिया।
इस बैठक में सांसदों ने जिस तरह मुर्मू का समर्थन किया, उससे उद्धव ही नहीं, बल्कि संजय राउत को भी बड़ा झटका जरूर लगा होगा। जब एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना विधायकों ने बगावत की थी, तो संजय राउत ने उनके खिलाफ काफी बयानबाजी की थी। इससे मामला और गंभीर हो गया और आखिरकार एकनाथ शिंदे और उनके साथी विधायकों ने उद्धव के साथ न रहने का फैसला कर लिया और बीजेपी की मदद से सरकार बना ली। अगर अब शिवसेना सांसदों ने भी विद्रोह किया, तो पार्टी का सिंबल बचाने में भी उद्धव ठाकरे को छींकें आ सकती हैं। कुल मिलाकर संजय राउत भी अब सांसदों और पार्टी विधायकों की नजर में खटकने लगे हैं। ऐसे में उद्धव उन्हें कितने दिन और ढोएंगे, ये सवाल भी उठ रहा है।