नई दिल्ली। अब किसी फिल्म या सीरियल को सेंसर बोर्ड अगर सर्टिफिकेट नहीं देता है, तो उसके फैसले के खिलाफ अपील करने की व्यवस्था खत्म होने जा रही है। इसके लिए सरकार ने 1952 के सिनेमैटोग्राफ एक्ट में बदलाव कर फिल्म सर्टिफिकेशन अपील ट्रिब्यूनल को खत्म कर दिया है। इसके साथ 8 और ट्रिब्यूनल भी खत्म कर दिए जाएंगे। इससे संबंधित बिल लोकसभा के बाद राज्यसभा से भी पास हो चुका है।
बिल के तहत सिनेमैटोग्राफ एक्ट, कस्टम्स एक्ट, एयरपोर्ट अथॉरिटी एक्ट, ट्रेड मार्क्स एक्ट और प्लांट वैराइटीज एंड फार्मर्स एक्ट में बदलाव कर अपील ट्रिब्यूनल खत्म किए जाने हैं। विपक्ष ने इस बिल का राज्यसभा में जोरदार विरोध किया। उसने आरोप लगाया कि सरकार कानून को ताक पर रखना चाहती है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस पर जवाब देते हुए कहा कि जो कांग्रेस आज न्याय और कोर्ट की बात कह रही है, उसने खुद इमरजेंसी के दौरान इन सबको ताक पर रख दिया था।
कांग्रेस समेत विपक्ष के सांसद लगातार हंगामा मचाते रहे, लेकिन राज्यसभा में सरकार ने ध्वनिमत से बिल को पास करा लिया। सीतारमण ने विपक्ष के इन आरोपों को भी गलत बताया कि बिल लाकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को भी सरकार ने नहीं माना है। उन्होंने कहा कि सरकार यहां कानून बनाने के लिए है और हमारी जिम्मेदारी है कि कानून बनाते वक्त संविधान का उल्लंघन न किया जाए।
मोदी सरकार ने 2015 से ही ट्रिब्यूनल को खत्म करने की प्रक्रिया शुरू की थी। गैरजरूरी ट्रिब्यूनलों को 2017 के बजट में खत्म किया गया था। ऐसे 7 ट्रिब्यूनल थे और एक जैसा काम करते थे। इससे ट्रिब्यूनल की संख्या 26 से कम होकर 19 तक पहुंच गई थी। अब 9 और ट्रिब्यूनल खत्म होने के बाद इनकी संख्या 10 रह जाएगी। ट्रिब्यूनलों की वजह से सरकार को काफी खर्च भी करना होता था। इस खर्च को भी सरकार अब घटा सकेगी।