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Owaisi: CM पुष्कर सिंह धामी ने की ‘समान आचार संहिता’ लागू कराने की वकालत, तो बिलबिलाए ओवैसी ने दी संविधान की दुहाई

Owaisi:उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 29 के तहत हर व्यक्ति को समाज, धर्म और संस्कृति की रक्षा करने का अधिकार होता है। आप इसे चुनौती नहीं दे सकते हैं। ओवैसी ने कानून का हवाला देते हुए ये भी लिखा है कि एकीकृत हिंदू परिवारों के लिए जो टैक्स छूट है, वो भी तो दूसरे को मिलती है। साथ ही ओवैसी ने लॉ कमीशन का हवाला देते हुए कहा है कि कमीशन ने भी यूनिफॉर्म सिविल कोड को गैरजरूरी बताया है।

 

नई दिल्ली। हिजाब को लेकर शुरू हुआ विवाद अब ‘समान आचार संहिता’ पर पहुंच गया है। हिजाब विवाद को लेकर शुरू हुई सियासी बयानबाजी के बाद अब यह पूरा माजरा कोर्ट की दहलीज पर दस्तक दे चुका है। ऐसे में आगे चलकर यह पूरा माजरा क्या रूख अख्तियार करता है। यह तो फिलहाल आने वाला वक्त ही बताएगा, लेकिन उससे पहले आइए आपको ‘समान आचार संहिता’ को लेकर शुरू हुए विवाद के बारे में तफसील से बताए चलते हैं। दरअसल, भारतीय राजनीति में समान आचार संहिता को लेकर दो तरह के गुटों का उदय हो चुका है। एक ऐसा गुट जो लगातार इसे लागू कराने के पक्ष में अपनी दुहाई दे रहे हैं, तो वहीं एक ऐसा गुटा जो संवैधानिक प्रावधानों का हवाला देकर इसे लागू न कराए जाने को लेकर अपनी दलीलें पेश कर रहे हैं। ऐसे में भला अब यह दोनों विवाद क्या परिणाम लेकर आते हैं। यह तो फिलहाल आने वाला वक्त ही बताएगा, लेकिन उससे पहले इस पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का रिएक्शन सामने आया था, जिसमें उन्होंने कहा कि,  ‘ अगर सूबे में हमारी सरकार बनने में कामयाब हुई, तो हम सबसे पहले समान आचार संहिता को लागू कराने का काम करेंगे। जिस पर एआईएमआईएम के प्रमुख ओवैसी की प्रतिक्रिया सामने आई है, जिसमें उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 29 का हवाला देकर समान आचार संहिता के लागू न करने की बात कही है।

 

उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 29 के तहत हर व्यक्ति को समाज, धर्म और संस्कृति की रक्षा करने का अधिकार होता है। आप इसे चुनौती नहीं दे सकते हैं। ओवैसी ने कानून का हवाला देते हुए ये भी लिखा है कि एकीकृत हिंदू परिवारों के लिए जो टैक्स छूट है, वो भी तो दूसरे को मिलती है। साथ ही ओवैसी ने लॉ कमीशन का हवाला देते हुए कहा है कि कमीशन ने भी यूनिफॉर्म सिविल कोड को गैरजरूरी बताया है। ओवैसी ने आगे कहा कि बीजेपी यह सब अपनी सत्ता बचाने के लिए कर रही है, क्योंकि अब उसे लग रहा है कि उसकी सत्ता खिसकर रही है। बता दें कि ओवैसी को शुरू से ही समान आचार संहिता के उल्लंघन करने वाले लोगों की जमात में शुमार रहे हैं।

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केंद्र की बीजेपी सरकार  शुरू से ही पूरे देश में समान आचार संहिता को लागू कराने पर जोर देती रही है, लेकिन कांग्रेस समेत अन्य विरोधी दलों ने हमेशा इसकी मुखालफत की है, लेकिन इस बीच उत्तराखंड की सियासी तपिश के बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उक्त ऐलान कर सूबे का सियासी पारा बढ़ा दिया है। आपको बता दें कि हिजाब विवाद के बाद समान आचार संहिता को लागू कराने की चर्चा अपने चरम पर पहुंच चुकी है। आइए, आपको आगे बताते हैं कि आखिर समान आचार संहिता क्या है और क्यों सरकार इसे लागू कराने के लिए होड़ में लगी हुई है।

क्या है समान आचार संहिता?

समान आचार संहिता लागू हो जाने के बाद देश के सभी नागरिकों को संपत्ति के बंटवारे, बच्चा गोद लेना, विवाद और तलाक जैसे नियमों एक समान रहेंगे। मतलब, साफ है कि समान आचार संहिता के लागू होने के बाद मजहबी नियमों को दरकिनार कर सरकार द्वारा बनाए गए नियमों को तरजीह दी जाएगी। इसे लेकर लगातार विवाद का सिलसिला जारी है।