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Congress: पिछले साल दिल्ली प्रभारी का पद छोड़ा अब कांग्रेस पार्टी से पीसी चाको ने दिया इस्तीफा, सोनिया को भेजा पत्र

Congress: पीसी चाको पार्टी के अंदर चल रही गुटबाजी और केरल में पार्टी के फैसलों की वजह से खासे नाराज थे। केरल में भी विधानसभा चुनाव होना है। इसके लिए तारीखों का ऐलान हो गया है। इस सब के बीच पीसी चाको का अचानक पार्टी छोड़ने का फैसला राज्य विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए भारी पड़ सकता है। पीसी चाको चार बार कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा पहुंच चुके हैं।

नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी के भीतर कलह लगातार देखने को मिल रहा है। G-23 नेताओं ने पहले ही पार्टी की मुसीबत बढ़ा रखी है। लगातार पार्टी के वरिष्ठ नेता पार्टी के शीर्ष आलाकमान पर हमलावर होते नजर आ रहे हैं। पार्टी के काम करने के तरीके से पार्टी के वरिष्ठ नेता खासे नाराज नजर आ रहे हैं। ऐसे में पार्टी को एक बड़ा झटका लगा है। पार्टी से एक प्रमुख नेता ने इस्तीफा दे दिया है। इस इस्तीफे की गूंज पार्टी में सुनाई देने लगी है।

Congress Akbar Road HQ

दरअसल पार्टी के वरिष्ठ नेता और गांधी परिवार के बेहद करीबी पीसी चाको ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। चाको ने अपने इस्तीफे की चिट्ठी सोनिया गांधी को भेज दि है। पिछले साल ही पीसी चाको ने दिल्ली कांग्रेस प्रभारी के पद से इस्तीफा दिया था। जब पार्टी को दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान एक भी सीट हासिल नहीं हो पाई थी।

pc chacko

सूत्रों की मानें तो पीसी चाको पार्टी के अंदर चल रही गुटबाजी और केरल में पार्टी के फैसलों की वजह से खासे नाराज थे। केरल में भी विधानसभा चुनाव होना है। इसके लिए तारीखों का ऐलान हो गया है। इस सब के बीच पीसी चाको का अचानक पार्टी छोड़ने का फैसला राज्य विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए भारी पड़ सकता है। पीसी चाको चार बार कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा पहुंच चुके हैं।

pc chacko

सूत्रों ने यह तक बता दिया की पार्टी से पीसी चाको की नाराजगी की वजह यह है कि पार्टी ने केरल विधानसभा चुनाव के लिए रणनीति तैयार करने से पहले उनसे उनकी राय नहीं ली जिसकी वजह से वह पार्टी से खासे नाराज थे। इसके पहले जब दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की शर्मनाक हार हुई थी तो तब कांग्रेस के दिल्ली प्रभारी पीसी चाको ही थे। उन्होंने तब इस्तीफे की पेशकश कर दी थी। इस समय उन्होंने दिल्ली में पार्टी की हालत को लेकर कहा था कि 2013 में शीला दीक्षित के मुख्यमंत्री रहते ही कांग्रेस की हालत खराब हो चुकी थी और पार्टी का ग्राफ लगातार नीचे गिरता जा रहा था।