नई दिल्ली। पिछले कुछ दिनों से देश के विभिन्न दंगों में पीएफआई का लिंक सामने आ रहा है। अभी हाल ही में हुए कानपुर हिंसा प्रकरण में भी पीएफआई का लिंक कथित तौर पर सामने आया है, लेकिन पीएफआई के महासचिव अनीस अहमद ने सार्वजनिक तौर पर कानपुर हिंसा को लेकर अपने संगठन की भूमिका को सिरे से खारिज कर दिया है। पीएफआई ने एक प्रेस रिलीज जारी करते हुए कानपुर हिंसा मामले में पुलिस की कार्रवाई पक्षपातपूर्ण और एक पक्ष के प्रति भेदभाव का आरोप लगाया है। अनीस ने कहा कि, ‘कानपुर हिंसा ही नहीं, बल्कि किसी भी हिंसा में हमारे संगठन की कोई भूमिका नहीं रही है। कानपुर हो चाहे, मध्य प्रदेश के खरगोन में हुई हिंसा या सीएए-एनआरसी को लेकर यूपी में हुई हिंसा, किसी में भी पीएफआई की कोई भूमिका नहीं रही है’। अनीस ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि, ‘केंद्र सरकार के लिए हम सॉफ्ट टारगेट बन चुके हैं। केंद्र सरकार और केंद्रीय जांच एजेंसी हर दंगे में हमारी भूमिका बताकर निशाने पर लेने की कोशिश करती है, बल्कि खरगोन में हुई हिंसा को लेकर वहां के एसपी ने ही स्पष्ट कर दिया था कि इसमें पीएफआई की कोई भूमिका नहीं है। वहीं, बीते दिनों उत्तर प्रदेश में सीएए कानून के विरोध में हुए हिंसा में भी हमारी कोई भी भूमिका नहीं थी। पुलिस अधिकारियों की तरफ से हमारे संगठन के संदर्भ में कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दी गई थी, लेकिन इसके बावजूद भी हमारा नाम लगातार घसीटा जा रहा है। बता दें कि अनीस ने उपरोक्त बयान वीडियो साझा कर कहा है।
गौरतलब है कि बीजेपी की राष्ट्रीय अध्यक्ष नूपुर शर्मा ने एक टीवी डिबेट के दौरान पैगंबर मोहम्मद के संदर्भ में विवादास्पद बयान दे दिया था, जिस पर आपत्ति जताते हुए मुस्लिम समुदाय उनके विरूद्ध कड़ी कार्रवाई करने की मांग कर रहा था, लेकिन इससे पहले की कोई कार्रवाई होती कि कानपुर में कुछ लोगों ने हिंसा की वारदात को अंजाम दे दिया। उन्होंने कानून की शरण लेने की जगह जिस तरह से हिंसात्मक मार्ग का चयन किया है, उसे लेकर पुलिस अब सख्ती से निपट रही है। बता दें कि विगत सोमवार को यूपी पुलिस की तऱफ से कानपुर हिंसा में संलिप्त 40 आरोपियों की तस्वीरें सार्वजनिक करते हुए आम जनमानस से अपील की गई है कि अगर आप इनमें से किसी को भी आप जानते हैं, तो हमें सूचित करें, आपकी जानकारी गुप्त रखी जाएगी।
बता दें कि भाजपा ने पैगंबर मोहम्मद पर विवादित बयान देने वाली नूपुर शर्मा के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए उन्हें 6 वर्षों के लिए पार्टी से निलंबित कर दिया गया है। लेकिन, ओवैसी सरीखे नेता बीजेपी की कार्रवाई पर अंसुतष्टि जाहिर कर अब नूपुर की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं। बहरहाल, इस पूरे मसले को लेकर जमकर राजनीति भी देखने को मिल रही है। अब ऐसी स्थिति में यह पूरा मसला आगे चलकर क्या कुछ कार्रवाई करती है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी। तब तक के लिए आप देश-दुनिया की तमाम बड़ी खबरों से रूबरू होने के लिए पढ़ते रहिए। न्यूज रूम पोस्ट.कॉम