नई दिल्ली। शायद आपको पता न हो कि भारत की पाकिस्तान से दूरी 1,452 किमी है। तकरीबन 10 घंटे का समय भारत की सरमजीं से पाकिस्तान जाने में लगता है। बेशुमार मसलों को लेकर दोनों ही मुल्कों के बीच विवाद का सिलसिला जारी रहता ही है। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर माजरा क्या है कि किसी मसले से रूबरू कराए बिना ही क्यों भारत और पाकिस्तान की दूरियों से लेकर दोनों ही मुल्कों के बीच जारी बेशुमार मसलों को लेकर जारी खींचतान से हमें रूबरू कराया जा रहा है। आखिर मसला क्या है? तो मसला यह है कि इन तमाम बेशुमार अंतरों व दूरियों के बावजूद भी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और भारतीय सिनेमा जगत के मशहूर गीतकार जावेद अख्तर के ख्याल आपस में कितने मिलते जुलते हैं। इसे अगर आपने जान लिया तो आपके पैरों तले जमीन खिसक जाएगी। चलिए, इस रिपोर्ट में हम आपको इमरान खान और जावेद अख्तर के ख्यालातों की समानता की एक छोटी सी बानगी दिखाए चलते हैं।
आपको तो पता ही होगा कि बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पंजाब को फिरोजपुर जाने के दौरान रोक दिया गया था। यही नहीं, हालात यहां तक पहुंच गए थे कि उनकी जान पर भी खतरा बन आया था। उनकी सुरक्षा में चूक का मामला सामने आया था। जिसे लेकर किसी ने पीएम मोदी की सुरक्षा में चूक की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए जांच कराने के आदेश देने की बात कही तो किसी ने कुछ तो किसी ने कुछ। लेकिन इसी बीच जावेद अख्तर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा पर सवाल उठा दिए। उन्होंने पीएम मोदी की सुरक्षा में हुई चूक को धर्म संसद से जोड़ दिया। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि, हमारे प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति से मुलाकात की है, जब वे एलएमजी के साथ बॉडी गार्ड्स से घिरे बुलेट प्रूफ वाहन में थे, तो उन्होंने खुद के लिए एक काल्पनिक खतरे पर चर्चा की, लेकिन एक शब्द भी नहीं कहा जब 200 मिलियन भारतीयों को खुले तौर पर नरसंहार की धमकी दी गई थी। . क्यों मिस्टर मोदी?
Our PM has met the president to discuss a vague n according to many an imaginary threat to himself when he was in a bullet proof vehicle surrounded by the body guards with LMGs but has not uttered a word when 200 M Indians are openly threatened by a genocide. Why Mr Modi ?
— Javed Akhtar (@Javedakhtarjadu) January 10, 2022
यह समझने में आपको कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए कि जावेद अख्तर ने पीएम मोदी की सुरक्षा में हुई चूक को अभी हाल ही में उत्तराखंड में हुए धर्म संसद से जोड़कर मसले की गंभीरता को कम करने का प्रयास किया। खैर, बात अगर जावेद अख्तर तक ही सीमित रहती तो कोई बात नहीं। इस नजरअंदाज किया भी जा सकता था, क्योंकि वे अमूमन किसी न किसी मसले को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर हमलावर रहते ही हैं। लेकिन हैरानी तो तब होती है, जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान जावेद अख्तर के सुर में सुर मिलाते हुए उसी मसले को लेकर उठाने का काम करते हैं, जिसे जावेद अख्तर ने उठाते हुए केंद्र सरकार के खिलाफ सवाल दागा था।
बता दें कि इमरान खान ने भी जावेद अख्तर की तर्ज पर ट्वीट कर मोदी सरकार पर सवाल खड़े किए। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि, भारत में अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से 200 मिलियन मुस्लिम समुदाय के नरसंहार के लिए दिसंबर में एक चरमपंथी हिंदुत्व शिखर सम्मेलन के आह्वान पर मोदी सरकार की निरंतर चुप्पी सवाल उठाती है कि क्या भाजपा सरकार इस आह्वान का समर्थन करती है। यह सही समय है जब अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने ध्यान दिया और कार्रवाई की।
The continuing silence of Modi govt on the call at an extremist Hindutva summit in Dec for genocide of minorities in India, especially the 200 mn Muslim community, begs the question whether the BJP govt supports this call. It is high time international community took note & acted
— Imran Khan (@ImranKhanPTI) January 10, 2022
अब आप ही बताइए कि क्या ऐसी स्थिति में यह सवाल पूछा जाना लाजिमी नहीं है कि आखिर दोनों के ख्यालातों के बीच इस समानता के पीछे का राज क्या है? दोनों ने आखिर क्यों एक ही मसले को उठाकर केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा। ताज्जुब की बात है कि हर मसले को लेकर अपनी बेबाकी दिखाने वाले जावेद अख्तर ने तनिक भी पीएम मोदी की सुरक्षा में हुई चूक को लेकर चिंता जाहिर करने की जहमत नहीं उठाई।
Imran का ट्वीट 12.09 का
जावेद अख्तर का 4.17 का।Imran -200 MN muslim community
Javed akhtar -200 M Indians
Imran -Continuing silence of Modi govt on genocide threat
Javed akhtar -PM has not uttered a word on genocide threat
काफ़ी similarities हैं, नहीं ? pic.twitter.com/0XtmhFauDE
— Aman Chopra (@AmanChopra_) January 11, 2022
मतलब… आप बस…. इतना समझ लीजिए कि जब गेंद अपने पाले में होती है, तो जावेद साहेब अपनी बेबाकी दिखाने से पीछे नहीं हटते हैं और जब गेंद पाले से बाहर होती है, तो चुप्पी साध लेते हैं। चाहे वो पीएम मोदी की सुरक्षा का मसला रहा हो या फिर बरेली में मुस्लिमों द्वारा धर्म संसद का। जी हां.. अभी बीते दिनों कोरोना के नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए जिस तरह उत्तराखंड में आयोजित किए गए धर्म संसद के जवाब में बरेली में मुस्लिमों द्वारा धर्म संसद का आयोजन किया गया, उसमें न महज कोरोना के नियमों की धज्जियां उड़ाई गई, बल्कि हिंदुओं के खिलाफ जहर भी उगला गया, लेकिन मजाल है कि जावेद साहब ने कुछ भी कहने की जहमत उठाई हो, बिल्कुल नहीं, उन्होंने अपनी जुबां पर खामोशी का लबादा ओढ़े रहना ही मुनासिब समझा और अब जिस तरह से वे इमरान खान से मिलते जुलते ख्यालातों को लेकर लोगों के निशाने पर आ गए हैं, उसके बारे में तो अब जावेद साहब ही कुछ कह पाएंगे कि आखिर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान से मिलते जुलते उनके ख्यालातों के पीछे का राज क्या है?
खैर, अब देखना होगा कि अभिव्यक्ति की आजादी, समानता और धर्मनिरपेक्षता का डंका बजाने वाले जावेद अख्तर का यह रुख आने वाले मसलों को लेकर भी यूं ही बरकरार रहता है या उसमें कुछ तब्दिली भी आएगी। इसका सबको बेसब्री से इंतजार रहेगा।