नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने नई आबकारी नीति बनाकर अपने लिए नई मुसीबत खड़ी कर ली है। एक तरफ दिल्ली में कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं, नए वैरिएंट ओमिक्रॉन से टेंशन बढ़ रही है तो वहीं दूसरी तरफ सीएम केजरीवाल दिल्ली वालों के लिए दवा का तो पता नहीं लेकिन दारू का इंतजाम ज़रूर कर दिया है। असल में, दिल्ली सरकार ने वर्ष 2021-22 के लिए नई आबकारी नीति को मंजूरी दी थी, जो 17 नवंबर 2021 से लागू हो चुकी है। इस नई आबकारी नीति की वजह से हरेक वार्ड में तीन से चार शराब की दुकानें खुल रही हैं। नई नीति के तहत राजधानी को 32 जोन में बांटा गया है, जिसके लिए 849 लाइसेंस आवंटित किए गए हैं। इस तरह प्रत्येक जोन में औसतन 26 से 27 शराब की दुकानें खुल रही हैं या फिर भविष्य में खुलेंगी।
एक जोन में आठ से नौ वार्ड शामिल किए गए हैं। इस तरह केजरीवाल सरकार की नई आबकारी नीति के बाद दिल्ली के हर इलाके में आसानी से शराब उपलब्ध हो रही है। बड़ी संख्या में शराब के ठेके खुलने के बाद शराब पर लगने वाले टैक्स से दिल्ली सरकार की आय में बंपर बढ़ोत्तरी होगी लेकिन बड़ा सवाल यही है कि सरकारी खजाना भरने के लिए दिल्लीवासियों की जान को दांव पर लगाना कहां तक ठीक है। यही वजह रही कि आज दिल्ली की सड़कों पर बीजेपी ने चक्का जाम कर दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति के खिलाफ प्रदर्शन किया। इस नीति के विरोध में महिलाएं भी सड़कों पर उतरीं। सीएम केजरीवाल की इस नीति के खिलाफ लोगों में भारी रोष नज़र आया।
दिल्ली में बीते 24 घंटों में 4 हजार से भी ज्यादा नए कोविड केस दर्ज किए गए हैं और ओमिक्रॉन वैरिएंट आने के बाद मामला और भी गंभीर हो चुका है, इस समय केजरीवाल सरकार का पूरा फोकस बेहतर कोरोना प्रबंधन पर होना चाहिए था लेकिन सीएम केजरीवाल नई आबकारी नीति के जरिए दिल्ली की जनता की जेब पर बोझ बढ़ाकर अपना खजाना भरने में लगे हैं।